National News || राजस्थान के कोटपूतली में एक दर्दनाक घटना ने पूरे देश को झकझोर दिया। तीन वर्षीय चेतना चौधरी, जो 23 दिसंबर को किरतपुरा के बडियाली की ढाणी में 700 फीट गहरे बोरवेल में गिर गई थी, को दस दिन बाद 170 फीट की गहराई से बाहर निकाला गया। हालांकि, यह राहत कार्य चेतना की जान नहीं बचा सका।
एनडीआरएफ का रेस्क्यू ऑपरेशन
चेतना को बचाने के लिए एनडीआरएफ की टीम ने लगातार दस दिनों तक दिन-रात मेहनत की। टीम ने बोरवेल के समानांतर एक सुरंग खोदकर बच्ची तक पहुंचने की कोशिश की। एनडीआरएफ राजस्थान के चीफ योगेश मीणा ने बताया कि बुधवार शाम 6 बजकर 25 मिनट पर चेतना को अचेत अवस्था में बोरवेल से बाहर निकाला गया।
एनडीआरएफ के जवान महावीर जाट ने बच्ची को सफेद कपड़े में लपेटकर सावधानीपूर्वक बाहर निकाला। इसके बाद तुरंत उसे एंबुलेंस से कोटपूतली के बीडीएम अस्पताल ले जाया गया, लेकिन डॉक्टर्स ने जांच के बाद उसे मृत घोषित कर दिया।
घटना का क्रम
23 दिसंबर 2024: चेतना चौधरी किरतपुरा के बडियाली की ढाणी में खेलते समय 700 फीट गहरे बोरवेल में गिर गई।
रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू: बच्ची को बचाने के लिए एनडीआरएफ और अन्य बचाव दलों ने काम शुरू किया।
170 फीट गहराई तक पहुंचना: बोरवेल के समानांतर सुरंग खोदकर 170 फीट की गहराई तक चेतना तक पहुंचा गया।
27 दिसंबर 2024: लगातार प्रयासों के बाद भी चेतना को जीवित नहीं बचाया जा सका।
चेतना की याद में शोक
चेतना की मौत की खबर से पूरे इलाके में शोक का माहौल है। बचाव दल और स्थानीय लोग, जो दस दिनों से उसके जीवित होने की उम्मीद लगाए बैठे थे, इस खबर से आहत हुए। चेतना के परिवार के लिए यह बेहद कठिन समय है।
बोरवेल हादसों पर सवाल
इस घटना ने एक बार फिर से बोरवेल की सुरक्षा पर सवाल खड़े कर दिए हैं। खुले बोरवेल बच्चों और जानवरों के लिए एक गंभीर खतरा बनते जा रहे हैं। प्रशासन और समाज को मिलकर यह सुनिश्चित करना चाहिए कि ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो।
निष्कर्ष
चेतना चौधरी की दुखद मौत ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है। यह घटना न केवल प्रशासन के लिए एक चेतावनी है, बल्कि समाज के हर व्यक्ति को भी जिम्मेदारी लेने का संदेश देती है। बोरवेल जैसी खतरनाक जगहों को सुरक्षित करना और बच्चों को इनसे दूर रखना हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए। चेतना की मासूम मुस्कान हमेशा लोगों की यादों में जीवित रहेगी।