नेशनल लोक अदालत: राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (NALSA) के निर्देश पर वर्ष 2025 की प्रथम नेशनल लोक अदालत का आयोजन शनिवार को धनबाद जिला न्यायालय में किया गया। इस विशेष अवसर पर प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश सह डालसा के चेयरमैन वीरेंद्र कुमार तिवारी एवं उपायुक्त सह डालसा के वाइस चेयरमैन माधवी मिश्रा ने इसका उद्घाटन किया।
नेशनल लोक अदालत: न्याय व्यवस्था का एक सशक्त मंच
उद्घाटन समारोह में प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश वीरेंद्र कुमार तिवारी ने कहा कि नेशनल लोक अदालत संविधान की न्यायिक परिकल्पना को साकार करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। उन्होंने बताया कि नवंबर 2013 से पूरे देश में प्रत्येक तीन माह के अंतराल पर लोक अदालतों का आयोजन किया जा रहा है। भारत का संविधान हर नागरिक को सामाजिक, आर्थिक और त्वरित न्याय प्राप्त करने की गारंटी देता है, और लोक अदालतें इस लक्ष्य की पूर्ति में सहायक सिद्ध हो रही हैं।
उपायुक्त माधवी मिश्रा ने कहा कि राष्ट्रीय लोक अदालत आम जनता के हित में कार्य करती है, और प्रशासनिक सहयोग के बिना समाज के हर वर्ग तक न्याय पहुंचाना संभव नहीं है। उन्होंने नागरिकों से लोक अदालत का अधिकतम लाभ उठाने का आह्वान किया।
मुकदमों के शीघ्र निपटारे से जनता को राहत
बार एसोसिएशन के अध्यक्ष अमरेंद्र कुमार सहाय ने बताया कि लोक अदालत में केस का निपटारा त्वरित गति से होता है, जिससे लोगों को महीनों कोर्ट का चक्कर लगाने और आर्थिक व्यय से बचने का अवसर मिलता है। इससे मानसिक शांति और सौहार्द भी बना रहता है।
सिटी एसपी अजीत कुमार ने इस अवसर पर कहा कि लोक अदालत का मुख्य उद्देश्य समाज में प्रेम, शांति, समृद्धि और समरसता बनाए रखना है।
अवर न्यायाधीश सह जिला विधिक सेवा प्राधिकरण (डालसा) के सचिव राकेश रोशन ने बताया कि लोक अदालतों के माध्यम से व्यापक पैमाने पर मामलों का त्वरित निपटारा किया जा रहा है। इससे वादकारियों को अनावश्यक कानूनी उलझनों से राहत मिलती है और समय की बचत होती है।
बड़ी संख्या में मामलों का निपटारा और आर्थिक रिकवरी
प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश के आदेशानुसार 14 बेंचों का गठन किया गया था, जिन्होंने विभिन्न प्रकार के सुलह योग्य विवादों का समाधान किया।
केवल चार घंटे में दोपहर 2 बजे तक:
- कुल 3,06,583 मामलों का निपटारा
- 2,75,412 प्री-लिटिगेशन मामले सुलझाए गए
- 31,171 लंबित मुकदमों का निष्पादन
- ₹1,38,26,49,932 (1 अरब 38 करोड़ 26 लाख 49 हजार 932) की रिकवरी
अवर न्यायाधीश राकेश रोशन ने उम्मीद जताई कि शाम 4 बजे तक यह आंकड़ा और बढ़ सकता है। उन्होंने वादकारियों, न्यायिक पदाधिकारियों, विभागीय अधिकारियों एवं बार एसोसिएशन के अधिवक्ताओं के सहयोग के लिए आभार व्यक्त किया।
कार्यक्रम में गणमान्य व्यक्तियों की उपस्थिति
लोक अदालत के दौरान कई वरिष्ठ न्यायिक पदाधिकारी एवं प्रशासनिक अधिकारी उपस्थित रहे, जिनमें शामिल थे: प्रधान न्यायाधीश, कुटुंब न्यायालय: टी. हसन
जिला एवं सत्र न्यायाधीश: दुर्गेश चंद्र अवस्थी, रजनीकांत पाठक, कुलदीप
मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी: आरती माला
अपर मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी: राजीव त्रिपाठी
सिविल जज: आइ. ज़ेड. खान
अनुमंडल न्यायिक दंडाधिकारी: अभिजीत पाण्डेय
रेलवे न्यायिक दंडाधिकारी: मनोज कुमार, ऋषि कुमार
स्थायी लोक अदालत के चेयरमैन: पीयूष कुमार
सर्टिफिकेट ऑफिसर: आर.एन. ठाकुर
बैंकिंग क्षेत्र से:
- स्टेट बैंक के रीजनल मैनेजर निर्मल कुमार
- डिप्टी जीएम विकास रंजन पटनायक (बैंक ऑफ इंडिया)
- डिप्टी जोनल हेड यूको बैंक
कंज्यूमर फोरम की सदस्या: शिप्रा
डालसा के पैनल अधिवक्ता एवं लीगल एड डिफेंस काउंसिल सिस्टम की टीम
विभिन्न विभागों के वरिष्ठ अधिकारी
निष्कर्ष: लोक अदालत के माध्यम से त्वरित एवं किफायती न्याय की पहल
नेशनल लोक अदालत ने एक बार फिर तेज़, किफायती और सौहार्दपूर्ण न्याय प्रणाली का उदाहरण प्रस्तुत किया है। यह पहल लोगों को अनावश्यक कानूनी प्रक्रिया से राहत देकर त्वरित समाधान प्रदान करने का एक प्रभावी माध्यम बन चुकी है। ऐसे आयोजनों से समाज में न्याय के प्रति जागरूकता बढ़ती है और वादकारियों को निष्पक्ष एवं शीघ्र न्याय प्राप्त होता है।
धनबाद में आयोजित इस लोक अदालत ने एक बार फिर यह साबित किया कि सही दिशा में उठाए गए कदम समाज के हित में एक बड़ा बदलाव ला सकते हैं।