Parshuram Jayanti Celebration: दुबे अखाड़ा सिंदरी में श्रद्धा और उल्लास के साथ मनी परशुराम जयंती

दुबे अखाड़ा सिंदरी में श्रद्धा और उल्लास के साथ मनी परशुराम जयंती

दुबे अखाड़ा सिंदरी में श्रद्धा और उल्लास के साथ मनी परशुराम जयंती

Parshuram Jayanti Celebration: भक्ति, भजन और संस्कृति के रंग में रंगा सिंदरी का दुबे अखाड़ा

Parshuram Jayanti Celebration: सिंदरी के दुबे अखाड़ा में 30 अप्रैल को Parshuram Jayanti Celebration के अवसर पर भगवान परशुराम की जयंती श्रद्धा और धूमधाम से मनाई गई। यह आयोजन वेद प्रकाश ओझा की देखरेख में संपन्न हुआ, जिसमें सिंदरी के कई सम्मानित नागरिकों ने भाग लेकर कार्यक्रम की गरिमा को और बढ़ाया।

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सुबह से उमड़ा श्रद्धालुओं का सैलाब

सुबह होते ही दुबे अखाड़ा में भगवान परशुराम के दर्शन के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी। विशेष रूप से सुसज्जित भगवान परशुराम की प्रतिमा की विधिवत पूजा-अर्चना की गई। कार्यक्रम के दौरान भजन-कीर्तन और धार्मिक अनुष्ठानों का भी आयोजन हुआ, जिसने पूरे माहौल को भक्तिमय बना दिया।

आदर्शों की प्रेरणा और समाज को संदेश

कार्यक्रम के संयोजक वेद प्रकाश ओझा ने भगवान परशुराम के जीवन और उनके आदर्शों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि वे शक्ति, न्याय और धर्म की रक्षा के प्रतीक हैं। उन्होंने उपस्थित जनों से आह्वान किया कि वे भगवान परशुराम के दिखाए मार्ग पर चलें और अन्याय के खिलाफ खड़े रहें।

सामाजिक समरसता और धार्मिक आस्था की मिसाल

इस भव्य आयोजन में सिंदरी के अनेक गणमान्य व्यक्तियों ने भाग लिया। सभी ने मिलकर भगवान परशुराम की आरती की और प्रसाद वितरण में सहभागिता निभाई। कार्यक्रम समरसता, शांति और सहयोग का प्रतीक बन गया, जिसमें समाज के हर वर्ग के लोगों ने मिलकर आस्था और एकता का परिचय दिया।

निष्कर्ष

Parshuram Jayanti Celebration के रूप में दुबे अखाड़ा का यह आयोजन सिंदरी की सांस्कृतिक और धार्मिक चेतना का सुंदर उदाहरण रहा। वेद प्रकाश ओझा और उनकी टीम के प्रयासों से यह पर्व न केवल धार्मिक महत्व रखता है, बल्कि समाज में समरसता और धर्म के प्रति जागरूकता फैलाने का कार्य भी करता है। श्रद्धालुओं ने एक-दूसरे को बधाई दी और आने वाले वर्षों में भी इस आयोजन को इसी भावना के साथ मनाने का संकल्प लिया।