RBI Rate Cut Forecast | जून और अगस्त में और 75 बेसिस प्वाइंट की कटौती संभव, कर्ज हो सकता है सस्ता
RBI Interest Rate Cut 2025: 2025 में महंगाई दर में गिरावट से ब्याज दरों में नरमी की राह
RBI Interest Rate Cut 2025: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) वित्त वर्ष 2025-26 में ब्याज दरों में अहम कटौती कर सकता है। यह अनुमान भारतीय स्टेट बैंक (SBI) की ताज़ा रिसर्च रिपोर्ट में सामने आया है। रिपोर्ट के अनुसार, देश में महंगाई दर के धीरे-धीरे नियंत्रण में आने से आर्थिक माहौल में सुधार की संभावना है और इसी के चलते RBI आगामी महीनों में रेपो रेट में और कटौती कर सकता है। इससे कर्ज सस्ता होने और उपभोक्ता खर्च में इजाफा होने की उम्मीद है।
फरवरी और अप्रैल में 0.50% कटौती के बाद जून-अगस्त में फिर राहत की उम्मीद
SBI की रिपोर्ट के मुताबिक, फरवरी और अप्रैल 2025 में RBI पहले ही 0.50% की कटौती कर चुका है। अब जून और अगस्त 2025 में और 75 बेसिस प्वाइंट (0.75%) की कटौती की संभावनाएं जताई गई हैं। इसका सीधा लाभ आम लोगों को मिलेगा, क्योंकि इससे होम लोन, पर्सनल लोन, ऑटो लोन आदि की ब्याज दरें घटेंगी और ईएमआई कम हो सकती है।
डॉलर के मुकाबले रुपया 85-87 के दायरे में रह सकता है, विदेशी मुद्रा बाजार में भी हलचल
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि 2025 में अमेरिकी डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपया 85-87 के बीच रह सकता है। अमेरिकी अर्थव्यवस्था में महंगाई में गिरावट और आयात टैरिफ में संभावित बदलाव से डॉलर पर दबाव पड़ सकता है। मार्च 2025 में अमेरिका की कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स (CPI) 2.4% रही है, जो संकेत देता है कि अमेरिकी फेडरल रिजर्व अगली दो बैठकों में ब्याज दरों को स्थिर रख सकता है।
भारतीय अर्थव्यवस्था में स्थिरता, RBI के लिए कटौती का अनुकूल माहौल
भारत में फिलहाल महंगाई दर नियंत्रण में है और आर्थिक वृद्धि के संकेत भी सकारात्मक बने हुए हैं। इस स्थिरता के चलते RBI को ब्याज दरों में कटौती का मार्ग मिल सकता है। इससे सरकार को निवेश बढ़ाने और इकोनॉमिक ग्रोथ को रफ्तार देने में मदद मिल सकती है।
निष्कर्ष
RBI की संभावित दर कटौती देश की अर्थव्यवस्था के लिए एक बड़ा सकारात्मक संकेत हो सकती है। इससे उधार लेना सस्ता होगा और लोन आधारित सेक्टर को गति मिलेगी। हालांकि, इसका असर बैंक डिपॉजिट्स की ब्याज दरों पर भी पड़ सकता है, जिससे बचत पर मिलने वाला ब्याज घट सकता है। लेकिन समग्र रूप से देखा जाए, तो यह कदम विकासशील अर्थव्यवस्था को मजबूती देने की दिशा में एक प्रभावी निर्णय साबित हो सकता है।