Sarhul Festival: धनबाद में सरहुल महोत्सव का भव्य आयोजन मंगलवार को पुलिस लाइन में किया गया, जहां उपायुक्त सह जिला दंडाधिकारी माधवी मिश्रा ने इस शुभ अवसर पर शिरकत की। इस महोत्सव में आदिवासी संस्कृति, परंपराओं और प्रकृति संरक्षण के संदेश को प्रमुख रूप से उजागर किया गया।
सरना रीति-रिवाज से हुआ स्वागत

कार्यक्रम के दौरान पुलिस एसोसिएशन और सरना समिति द्वारा उपायुक्त माधवी मिश्रा, सिटी एसपी अजीत कुमार, डीएसपी ट्रैफिक अरविंद सिंह, डीएसपी प्रदीप मिंज और डीएसपी अर्चना खलको सहित अन्य अतिथियों का सरना परंपरा के अनुसार पगड़ी बांधकर भव्य स्वागत किया गया।
पूजा-अर्चना के साथ महोत्सव का शुभारंभ

महोत्सव की शुरुआत सभी अधिकारियों और अतिथियों ने साल के फूल, फल और महुआ के फलों के साथ पूजा-अर्चना कर की। इसके बाद उपायुक्त ने जिलेवासियों को सरहुल पर्व की शुभकामनाएं दीं और सभी के सुख, शांति, समृद्धि एवं खुशहाली की कामना की।
प्रकृति संरक्षण का संदेश देता है सरहुल – उपायुक्त माधवी मिश्रा

इस अवसर पर उपायुक्त माधवी मिश्रा ने कहा,
“सरहुल केवल एक पर्व नहीं, बल्कि प्रकृति संरक्षण और सरल जीवन जीने की प्रेरणा देने वाला उत्सव है। आदिवासी समाज इस दिन साल वृक्ष की पूजा करता है क्योंकि यह आश्रय देता है और प्राकृतिक संतुलन बनाए रखता है। जल, जंगल और जमीन को सुरक्षित रखने का संकल्प लेने का यह सबसे महत्वपूर्ण अवसर है।”
उन्होंने आगे कहा कि सरहुल आदिवासी नववर्ष का पर्व भी है, जो धरती माता को समर्पित होता है और झारखंड की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक है।
मांदर की थाप पर झूमे अधिकारी

सरहुल महोत्सव की खास बात यह रही कि उपायुक्त माधवी मिश्रा, सिटी एसपी और अन्य पदाधिकारियों ने भी मांदर की थाप पर पारंपरिक आदिवासी नृत्य में भाग लिया। यह दृश्य दर्शकों के लिए बेहद आनंददायक और प्रेरणादायक रहा।
संस्कृति और पर्यावरण संरक्षण का संदेश
इस महोत्सव ने एक बार फिर यह साबित किया कि सरहुल न केवल एक धार्मिक उत्सव है, बल्कि यह पर्यावरण सुरक्षा और सामूहिक एकता का भी प्रतीक है। जल, जंगल और जमीन की रक्षा के संकल्प के साथ यह पर्व हमें प्रकृति के प्रति आभार व्यक्त करने और उसे संरक्षित करने की सीख देता है।