Sarhul Mahotsav 2025: BIT सिंदरी में आयोजित सरहुल महोत्सव की भव्यता ने सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया। पारंपरिक रीति-रिवाजों के साथ मनाए गए इस महोत्सव में आदिवासी संस्कृति की झलक देखने को मिली। कार्यक्रम में BIT कल्चरल सोसाइटी के प्रोफेसर इंचार्ज डॉ. अजय उरांव के साथ प्रो. उपेंद्र प्रसाद, प्रो. डी.के. तांती, प्रो. राजीव वर्मा, डॉ. जीतू कुजूर, डॉ. निशिकांत किस्कू, डॉ. अमर प्रकाश सिन्हा, डॉ. अमर कुमार, डॉ. जे.एन. महतो, डॉ. सागरम हेम्ब्रोम, प्रो. बोइपाई सहित कई अधिकारी व गणमान्य लोग मौजूद रहे।
पारंपरिक पूजा-अर्चना के साथ हुआ शुभारंभ
समारोह की शुरुआत विधि-विधानपूर्वक पूजा स्थल पर प्रार्थना और प्रवचन के साथ हुई। इसके बाद अतिथियों का गर्मजोशी से स्वागत कर अखड़ा ले जाया गया, जहां आदिवासी संस्कृति का जीवंत प्रदर्शन किया गया। इस दौरान कई प्रोफेसर भी खुद को रोक नहीं पाए और मांदर बजाते नजर आए। मांदर की थाप पर विद्यार्थियों, कर्मचारियों और स्थानीय लोगों ने झूम-झूमकर नागपुरी गीतों पर नृत्य किया, जिससे पूरा माहौल उल्लास से भर गया।
सरहुल पूजा और प्रकृति प्रेम का संदेश
इस दौरान पाहनो (पुजारी) द्वारा पारंपरिक विधि-विधान से सरहुल पूजा संपन्न कराई गई। मौके पर प्रो. अजय उरांव ने कहा, “सरहुल पर्व हमें प्रकृति से जुड़ने और उसकी रक्षा करने का संदेश देता है। आदिवासी संस्कृति पर्यावरण संरक्षण का प्रतीक है, जो हमें प्रकृति के प्रति जिम्मेदारी निभाने की प्रेरणा देती है।”
संस्कृति और इतिहास पर रोशनी
- डॉ. जीतू कुजूर ने सरहुल पर्व के ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व पर प्रकाश डाला।
- डॉ. उपेंद्र प्रसाद ने सभी झारखंडवासियों को सरहुल और ईद की शुभकामनाएं दीं।
भोजन और प्रसाद के साथ कार्यक्रम का समापन
कार्यक्रम का समापन दोपहर 1 बजे हुआ, जहां सभी ने प्रसाद ग्रहण कर पर्व की शुभकामनाएं दीं। यह आयोजन आदिवासी संस्कृति, प्रकृति प्रेम और सामूहिक उल्लास का एक अद्भुत उदाहरण था, जिसने BIT सिंदरी के माहौल को उमंग और उत्साह से भर दिया।