श्रीमद् भागवत कथा का भव्य समापन: श्री श्री राधा कृष्ण प्रेम मंदिर के तत्वाधान में 8 से 16 दिसंबर 2024 तक आयोजित श्रीमद् भागवत कथा का सोमवार को पूर्णाहुति के साथ भव्य समापन हुआ। यह आयोजन सूर्य नारायण मंदिर के प्रांगण में श्री सुरेन्द्र हरीदास जी महाराज के पावन सान्निध्य में संपन्न हुआ।
भक्तों की अपार श्रद्धा और सहभागिता
कथा के अंतिम दिन तकरीबन 3000 भक्तों ने भगवान के चरणों में हाजिरी लगाई और महाप्रसाद भंडारे में भाग लिया। श्रद्धालुओं ने ईश्वर से यह प्रार्थना की:
“धर्म की जय हो, अधर्म का नाश हो, विश्व का कल्याण हो और प्राणियों में सद्भावना का संचार हो।”
कथा के दौरान राधा-गोविंद भगवान की महिमा का गुणगान किया गया और श्रीमद् भागवत ज्ञान गंगा के प्रवाह से भक्तों को आध्यात्मिक प्रेरणा मिली।
कथा आयोजन में प्रमुख योगदान
इस भव्य आयोजन को सफल बनाने में समाज के कई प्रतिष्ठित परिवारों और व्यक्तियों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। सभी का अथक परिश्रम और सहयोग सराहनीय रहा।
मुख्य सहयोगी परिवार एवं भक्तगण:
- किशोरी गुप्ता, कस्तूरी देवी, अशोक कुमार वर्मा, गीता देवी
- विनय कृष्ण गुप्ता, अल्का देवी, संजय चौधरी, सुमन चौधरी
- केडिया परिवार, श्री सांवरो सेठ निशान यात्रा, श्रीकृष्ण गुप्ता, नर्मदा देवी
- अवधेश प्रसाद गुप्ता, मनिषा देवी, मनोज कुमार गुप्ता, कविता गुप्ता
- उदय वर्मा, सुषमा वर्मा, सुशील खैतान, माया देवी
- बिजय झा, शिवानी झा, महेश अग्रवाल, राजेश चौखानी, बिकास साहू
- हिम्मत सिंह, सुमन देवी, संजय गुप्ता
इन सभी के अथक सहयोग और समर्पण से श्रीमद् भागवत कथा का सफल आयोजन संभव हो सका।
कथा का आध्यात्मिक संदेश
श्रीमद् भागवत कथा न केवल धर्म और भक्ति का संदेश देती है, बल्कि यह जीवन में सत्य, प्रेम और सद्भावना के मार्ग पर चलने की प्रेरणा भी प्रदान करती है। कथा के माध्यम से समाज में सकारात्मकता और सांस्कृतिक एकता का भाव जागृत हुआ।
महाप्रसाद भंडारा
कथा समापन के अवसर पर आयोजित महाप्रसाद भंडारे में बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने प्रसाद ग्रहण कर ईश्वर का आशीर्वाद प्राप्त किया।
विशेष धन्यवाद
श्री सुरेन्द्र हरीदास जी महाराज ने आयोजन को सफल बनाने वाले सभी भक्तों और श्रद्धालुओं को विशेष धन्यवाद देते हुए कहा:
“यह आयोजन सबकी आस्था और समर्पण का परिणाम है। भगवान राधा-गोविंद की कृपा सभी पर बनी रहे और यह आध्यात्मिक यात्रा निरंतर चलती रहे।”
उपसंहार
इस कथा ने भक्तों के जीवन में अध्यात्म, भक्ति और सकारात्मकता का संचार किया। समाज के सभी वर्गों के सहयोग और समर्पण से यह आयोजन भव्यता के साथ संपन्न हुआ। भगवान से प्रार्थना की गई कि सभी का जीवन सुखमय हो और संसार में शांति और सद्भावना का वास हो।
“राधे-राधे! जय श्री राधा गोविंद!”