SINDRI | सरस्वती शिशु विद्या मंदिर सिंदरी ‘शिशु वाटिका’ के नन्हे मुन्ने बालक कक्षा अरुण (PLAY) उदय (L.K.G.) एवं प्रभात (U.K.G.) के भैया बहन आज शहर पुरा सिंदरी बाजार मार्केट का पैदल शैक्षिक भ्रमण किए शिशु वाटिका नन्हे मुन्ने बच्चे विद्यालय से पैदल निकलकर प्रसाद जी के दुकान के साधनों सामान को देखते हुए खिलौनों को देखते हुए श्री मंदिर जाकर शंकर भगवान जी का दर्शन किए वहां मंदिर का परिक्रमा करके मंदिर के प्रांगण में ही थोड़ी देर आचार्य जी एवं दीदी जी के निर्देशानुसार विश्राम किए उसके उपरांत बाजार घूम कर अनेकों साजो सामान को देखते, लेते हुए फलों के दुकान पर जाकर सभी फलों को प्रत्यक्ष रूप से छूकर उस के नामों को बताते हुए केले लेकर खायें और बड़ी मासूमियत एवं शालीनता से सभी बच्चे केले के छिलके कूड़ेदान ( Dustbin ) में स्वयं जाकर डालें जो स्वच्छ भारत का प्रत्यक्ष प्रमाण था । तत्पश्चात सभी पंक्ति से बाजार का भ्रमण कर आपने उत्सुकता – जिज्ञासा को शांत करने के लिए खिलौने , किताबों, डायरी एवं थैले बैगों, चश्मों, जूते चप्पलों, घड़ियों टॉर्चों , शैडो स्टूडियों , खादी के दुकान, वैरायटी स्टोर दर्जी की दुकान, फलों एवं सब्जियों के, टॉफी, फ्रिज के दुकानों ,राशन की दुकानों, चाट -पकौड़े-सिंघाड़ा रसगुल्ले की दुकानों के पास सामान को निकट से जाकर प्रत्यक्ष निरीक्षण परीक्षण कर देखें समझें एवं जाने और बाजार के अनेकों साजों सामान के संबंध में आचार्य जगदीश चंद्र के निर्देशन में श्रीमती सुमन सिंह, श्रीमती सुनीता रानी सिंह, एवं श्रीमती सुनीता कुमारी जी बच्चों को विस्तृत रूप से बताएं – समझायें तथा बच्चों के पूछने पर प्रश्नों का सही एवं सटीक उत्तर दिए । सभी बच्चे बाजार भ्रमण करते हुए मस्ती में घूमती फिरते मजे ले रहे थे । जूते के दुकान पर बच्चों ने गीत ” “हाथी दादा ओढ लबादा ,पहुंच गए बाजार जूते की दुकान देख कर ,मांगे जूते चार ………………….।
सबों ने गाकर सुनाया। फिर आचार्य जी एवं दीदी जी ने सभी बच्चे बच्चियों पर पैनी दृष्टिकोण को बनाए रखे थे किसी चीज को कमी होने पर तत्काल उपलब्ध कराना यह सर्तकता देखी जा सकती थी प्यास लगने पर पानी पिलायें और टॉफियां वितरित की एवं फल खिलाया गया। बच्चे थके नहीं और धूप से बचाव के लिए दीदी जी आचार्य जी धूप में रहते हुए बच्चों को छाया में ले चलने का प्रयास करते पाए गए ।पैदल शहरपुरा बाजार सिंदरी भ्रमण कर विद्यालय आने के बाद सभी भैया- बहन बड़े खुश एवं प्रफुल्लित दिख रहे थे।