Supreme Court News || चुनाव प्रक्रिया में पारदर्शिता और निष्पक्षता लोकतंत्र की नींव होती है। हाल ही में केंद्र सरकार द्वारा चुनाव से जुड़े इलेक्ट्रॉनिक दस्तावेजों को सार्वजनिक करने पर रोक लगाने के फैसले ने राजनीति और न्यायपालिका में नई बहस छेड़ दी है। कांग्रेस ने इस फैसले को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है।
क्या है मामला?
केंद्र सरकार का नया संशोधन
20 दिसंबर 2024 को केंद्र सरकार ने चुनाव संचालन नियम, 1961 में संशोधन किया। इसके तहत चुनाव से जुड़े सीसीटीवी फुटेज, वेबकास्टिंग वीडियो और उम्मीदवारों की रिकॉर्डिंग जैसे दस्तावेजों को सार्वजनिक करने पर रोक लगा दी गई। अब ये दस्तावेज केवल “नियमानुसार” ही उपलब्ध होंगे।
कांग्रेस की प्रतिक्रिया
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने चुनाव आयोग की पारदर्शिता पर सवाल उठाते हुए कहा कि आयोग को ऐसे महत्वपूर्ण कानूनों में बदलाव करने की एकतरफा अनुमति नहीं दी जा सकती। उन्होंने यह भी कहा कि चुनाव आयोग पारदर्शिता से क्यों डर रहा है।
नियम में बदलाव क्यों?
हाईकोर्ट का प्रभाव
पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने एक मामले में चुनाव से जुड़े दस्तावेज साझा करने का आदेश दिया था। इसमें सीसीटीवी फुटेज को भी शामिल किया गया था। इस संदर्भ में, चुनाव आयोग ने नियम 93(2) को स्पष्ट करने के लिए बदलाव किया।
एआई और फेक नैरेटिव का खतरा
अधिकारियों का मानना है कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) का उपयोग करके पोलिंग स्टेशन के फुटेज में छेड़छाड़ कर फेक नैरेटिव फैलाया जा सकता है। इसे रोकने के लिए इलेक्ट्रॉनिक दस्तावेजों को सार्वजनिक करने पर प्रतिबंध लगाया गया है।
पारदर्शिता बनाम सुरक्षा
चुनाव आयोग का कहना है कि नामांकन फॉर्म, एजेंट नियुक्ति, चुनाव परिणाम और खर्च विवरण जैसे दस्तावेज ही सार्वजनिक किए जाएंगे। लेकिन सीसीटीवी फुटेज और वेबकास्टिंग का उपयोग पारदर्शिता बढ़ाने के लिए होता है, न कि इसे सार्वजनिक करने के लिए।
प्रमुख घटनाएं और विवाद
चंडीगढ़ मेयर चुनाव का मामला
जनवरी 2024 में चंडीगढ़ मेयर चुनाव में सीसीटीवी फुटेज के माध्यम से धांधली का मामला सामने आया था। इस वीडियो में चुनाव अधिकारी अनिल मसीह बैलट पेपर पर निशान लगाते दिखे थे। सुप्रीम कोर्ट ने इस वीडियो को देखने के बाद इनवैलिड वोटों को सही ठहराया और गठबंधन उम्मीदवार को मेयर घोषित किया।
कांग्रेस की चिंता
पारदर्शिता का ह्रास
कांग्रेस का तर्क है कि इस बदलाव से चुनाव प्रक्रिया की पारदर्शिता प्रभावित होगी। उनका मानना है कि जनता और विपक्षी दलों का चुनाव आयोग पर विश्वास बनाए रखना जरूरी है।
सुप्रीम कोर्ट में याचिका
कांग्रेस ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर इस बदलाव को रद्द करने की मांग की है। उन्होंने कहा है कि इस तरह के नियम बदलाव से लोकतंत्र कमजोर होगा।