World Chess Championship || 18 वर्षीय डी. गुकेश (D. Gukesh) ने विश्व शतरंज चैंपियन (World Chess Championship) बनकर इतिहास रच दिया है। उन्होंने भारत के महान शतरंज खिलाड़ी विश्वनाथन आनंद के बाद यह गौरव प्राप्त करने वाले दूसरे भारतीय खिलाड़ी होने का गौरव हासिल किया। गुकेश ने यह उपलब्धि मौजूदा विश्व चैंपियन, चीन के डिंग लिरेन, को हराकर हासिल की।
निर्णायक मैच और डिंग लिरेन की चूक
फाइनल मैच के 14वें और अंतिम क्लासिकल गेम में 55वीं चाल पर डिंग की एक गलती (Rf2) के कारण बाजी गुकेश के पक्ष में पलट गई। यह मैच ड्रॉ की ओर बढ़ रहा था, लेकिन गुकेश ने अपने दृढ़ खेल और अतिरिक्त प्यादे के बल पर जीत हासिल कर ली।
दोनों खिलाड़ियों की रणनीतियां
डिंग ने अपनी रणनीति के तहत मैच को ड्रॉ की ओर ले जाने और रैपिड या ब्लिट्ज फॉर्मेट में मुकाबला जीतने की योजना बनाई थी। वहीं, गुकेश ने हर स्थिति में बढ़त बनाने की कोशिश की और मजबूत ओपनिंग खेलते हुए हर चाल को बारीकी से परखा।
गुकेश की मानसिक दृढ़ता और सहयोगियों का योगदान
चेन्नई में जन्मे ग्रैंडमास्टर गुकेश ने अपनी कम उम्र में ही असाधारण मानसिक मजबूती और परिपक्वता का परिचय दिया। उनकी सफलता में उनके सेकंड्स और विश्वनाथन आनंद के वेस्टब्रिज आनंद चेस एकेडमी का भी महत्वपूर्ण योगदान रहा। उनकी गहरी गणनात्मक क्षमता और बहुआयामी खेल शैली ने उन्हें डिंग जैसे अनुभवी खिलाड़ी के खिलाफ जीत दिलाई।
भारत में शतरंज के भविष्य की चमक
गुकेश की यह जीत भारतीय शतरंज के लिए एक प्रेरणा का स्रोत बनेगी। उनके साथ-साथ अर्जुन एरिगैसी और आर. प्रज्ञानानंद जैसे युवा ग्रैंडमास्टर्स ने भी भारतीय शतरंज को विश्व पटल पर मजबूती से स्थापित किया है। गुकेश ने कैंडिडेट्स टूर्नामेंट जीतकर यह चुनौती प्राप्त की और व्यक्तिगत स्वर्ण पदक जीतने के साथ भारतीय टीम को बुडापेस्ट ओलंपियाड में स्वर्ण दिलाया।
अगला लक्ष्य
गुकेश का अगला लक्ष्य विश्व के सबसे मजबूत खिलाड़ी मैग्नस कार्लसन के स्तर तक पहुंचना होगा। उनकी इस उपलब्धि ने भारत में शतरंज को नई दिशा दी है और यह खेल अपने जन्मस्थल पर एक बड़े खेल और करियर विकल्प के रूप में उभरेगा।
डी. गुकेश का विश्व चैंपियन बनना न केवल उनकी व्यक्तिगत जीत है, बल्कि यह भारतीय शतरंज और युवा खिलाड़ियों के लिए एक नई शुरुआत है। यह उपलब्धि आने वाले समय में और अधिक चैंपियंस को प्रेरित करेगी।