2025 में जनगणना: जनगणना 2025 में शुरू होकर 2026 तक पूरी होने की संभावना
नई दिल्ली। केंद्र की मोदी सरकार ने लगभग चार वर्षों के विलंब के बाद 2025 में जनगणना की प्रक्रिया प्रारंभ करने की योजना बनाई है। सोमवार को सरकारी सूत्रों ने यह जानकारी साझा की। इस बार जनगणना 2025 में शुरू होकर 2026 तक पूरी होने की संभावना है। सूत्रों के अनुसार, जनगणना के उपरांत लोकसभा सीटों के परिसीमन की प्रक्रिया शुरू की जाएगी, जिसे 2028 तक पूर्ण कर लिया जाएगा। यह निर्णय ऐसे समय में लिया गया है जब कई विपक्षी दल जाति-आधारित जनगणना की पुरजोर मांग कर रहे हैं। भारत में पिछली जनगणना 2011 में हुई थी, जबकि अगली जनगणना 2021 में होनी थी, लेकिन कोविड-19 महामारी के चलते इसमें विलंब हुआ। तब से लगातार यह प्रश्न उठते रहे हैं कि आगामी जनगणना के आंकड़े कब सार्वजनिक किए जाएंगे।
मोदी सरकार अब जनगणना रिकॉर्ड करने की तैयारियों में सक्रिय रूप से जुट गई है। कुछ राजनीतिक दलों द्वारा जाति जनगणना की मांग के बावजूद, सूत्रों का कहना है कि फिलहाल केंद्र सरकार की ऐसी कोई योजना नहीं है। मौजूदा फॉर्मेट में, जहां प्रत्येक नागरिक को अपना नाम, व्यक्तिगत और पारिवारिक जानकारी दर्ज करनी होती है, वहीं धार्मिक विवरण भरने का विकल्प होता है। एक अन्य खंड अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति (एससी/एसटी) के रूप में पहचान का अवसर भी देता है। इस बार, फॉर्म में एक अतिरिक्त विकल्प दिया जाएगा, जिसमें व्यक्ति को अपने धर्म के तहत अपने संप्रदाय का उल्लेख करने का अवसर मिलेगा।
वहीं, कांग्रेस, आरजेडी और अन्य कई विपक्षी पार्टियाँ जाति जनगणना की मांग लगातार उठाती रही हैं। बिहार में भाजपा की सहयोगी जेडीयू ने भी इस पर विचार प्रकट किया है, परंतु केंद्र सरकार पर किसी प्रकार का दबाव नहीं डाला है। केंद्र स्तर पर, इस संबंध में अंतिम निर्णय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी कैबिनेट को लेना है। भाजपा की एक और सहयोगी पार्टी, तेलुगु देशम पार्टी, भी जनगणना की जरूरत पर जोर देती है। आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू जनहित में, विशेषकर युवाओं के भविष्य के लिए ‘कौशल जनगणना’ की प्रबल वकालत कर रहे हैं। इसी तरह, आरएसएस भी जाति जनगणना के पक्ष में है, बशर्ते यह राजनीतिक लाभ के लिए उपयोग में न लाया जाए।