SUNDAY SPECIAL | रामायण के भारत में बैन होने की कई वजह थी। पहली दिक्कत फिल्म का निर्माण जापान द्वारा किए जाने को लेकर था। विश्व हिंदू परिषद ने एक विरोध पत्र जारी कर नाराजगी जाहिर की थी।
SUNDAY SPECIAL | मुंबई । साल 1992 में आई रामायण एक एनिमिटेड फिल्म पर कुछ आपत्तियों के बाद प्रतिबंध लगा दिया था। 31 साल पहले अयोध्या में राम मंदिर का मुद्दा भी गरम था जिसके चलते कोई भी रिस्क लेना नहीं चाहता था। रामायण के भारत में बैन होने की कई वजह थी। पहली दिक्कत फिल्म का निर्माण जापान द्वारा किए जाने को लेकर था। विश्व हिंदू परिषद ने एक विरोध पत्र जारी कर नाराजगी जाहिर की थी। तब प्रोड्यूसर ने इस गलतफहमी को दूर कर इसे एनिमिटेड वर्जन में बनाने का सोचा और सरकार के सामने अपना प्रस्ताव रखा। मगर संवेदनशील विषय को कार्टून के फॉर्म में दिखाने पर सरकार ने असहमति जताई।
सिर्फ यही नहीं, उसी दौरान भारत में राम जन्मभूमि को लेकर विवाद भी चल रहा था। ऐसे में भारत में फिल्म बनाना लगभग नामुमकिन सा हो गया। रावण से पत्नी सीता को छुड़ाकर लाने और हनुमान की राम के प्रति भक्ति की झलक दिखाती रामायण द लीजेंड ऑफ प्रिंस दिवाली से पहले सिनेमाघरों में उतारा जा रहा है। फिल्म 18 अक्टूबर को थिएटर्स में दस्तक देगी। आप इसे हिंदी, इंग्लिश, तमिल और तेलुगु भाषाओं में देख सकते हैं। मालूम हो कि हिंदी में इसका वॉइस ओवर रामायण सीरियल में भगवान राम का किरदार निभा चुके अरुण गोविल और अमरीश पुरी ने दी है। पौराणिक कथा रामायण से प्रेरित कई फिल्में और शोज बने हैं, जो दर्शकों के दिल में एक खास जगह रखते हैं, लेकिन एक फिल्म ऐसी थी जो भारत में बैन हो गई थी। इस फिल्म का निर्माण जापान में हुआ था। हम बात कर रहे हैं रामायण द लीजेंड ऑफ प्रिंस राम। साल 1992 में आई रामायण एक एनिमिटेड फिल्म है, जिसका निर्माण जापानी फिल्ममेकर यूगो साको ने किया था और उन्होंने भारतीय फिल्ममेकर राम मोहन के साथ फिल्म का निर्देशन किया था। सालों बाद फिल्म एक बार फिर चर्चा में आ गई है। ऐसा इसलिए क्योंकि यह पौराणिक फिल्म भारतीय सिनेमाघरों में दस्तक देने जा रही है।जी हां, 31 साल के वनवास के बाद भगवान राम की कहानी भारतीय सिनेमाघरों में एनिमेटेड वर्जन में दिखाई जाएगी। फरहान अख्तर, गीक पिक्चर्स इंडिया और एए फिल्म्स के जरिए रामायण को भारत में रिलीज किया जा रहा है। हाल ही में, फिल्म का टीजर ट्रेलर सोशल मीडिया पर रिलीज किया गया, जिसने दर्शकों के दिलों में उत्साह जगा दिया। आखिर में फिल्म को जापान में ही बनाया गया और दोनों देशों के लगभग 450 कलाकारों ने इसके निर्माण में योगदान दिया। फिल्म रिलीज होने के एक साल बाद पहली बार इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल ऑफ इंडिया में दिखाई गई थी। हलांकि, उस वक्त राम जन्मभूमि को लेकर हो रहे विवाद के चलते यह फिल्म थिएटर्स में नहीं टिक पाई और आखिर में इसे टीवी पर प्रसारित किया गया। पिछले साल जब आदिपुरुष की आलोचना हुई, तब लोगों ने आदिपुरुष से इस जापानी-भारतीय फिल्म रामायण की तुलन की। लोगों ने इसे खूब पसंद किया था।