Bhagwat Katha || अहंकार ईश्वर से दूरी का कारण-पूज्य श्री सुरेन्द्र हरिदास महाराज

Bhagwat Katha

Bhagwat Katha

Bhagwat Katha || मन की शुद्धता: अध्यात्म का पहला कदम

Bhagwat Katha || आज की कथा में पूज्य महाराज श्री ने बताया कि जब मनुष्य का मन शुद्ध और निर्मल होता है, तो उसकी सभी बाधाएं स्वतः समाप्त हो जाती हैं। मन की शुद्धता ही ईश्वर की प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त करती है।

Telegram Group Join Now
Instagram Group Join Now
WhatsApp Channel Join WhatsApp

अहंकार: आत्मा की प्रगति में बाधा

मनुष्य को अपने जीवन में कभी अहंकार नहीं करना चाहिए। अहंकार न केवल व्यक्ति को अन्य लोगों से दूर करता है, बल्कि उसे ईश्वर से भी अलग कर देता है। अहंकार एक दीवार की तरह कार्य करता है, जो व्यक्ति और उसकी आत्मा के विकास के बीच खड़ी हो जाती है।

विनम्रता और भक्ति का मार्ग

विनम्रता और भक्ति का मार्ग अपनाने से ही व्यक्ति सच्ची आध्यात्मिक उन्नति प्राप्त कर सकता है। विनम्रता मनुष्य को दूसरों के प्रति दयालु बनाती है और उसे ईश्वर के निकट ले जाती है।

सनातन धर्म: मानवता और समावेशिता का प्रतीक

सनातन धर्म न केवल मानवता की सेवा करता है, बल्कि सभी धर्मों का सम्मान भी करता है। यही कारण है कि इसे सार्वभौमिक और सर्वसमावेशी धर्म माना गया है। यह धर्म व्यक्ति को सच्चाई और धर्म के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करता है।

कथा श्रवण: ईश्वर प्राप्ति का माध्यम

भगवान की प्राप्ति के लिए कथा एक सशक्त माध्यम हो सकती है। कथा सुनने से मनुष्य अपने कर्मों को सुधारने और सत्य के मार्ग पर चलने की प्रेरणा प्राप्त करता है।

बच्चों में धर्म का संस्कार

हमें अपने बच्चों को बचपन से ही कथा श्रवण करवाना चाहिए। यह उनके चरित्र निर्माण में सहायक होता है और उन्हें धर्म तथा सच्चाई के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है।

समाज का योगदान

इस आध्यात्मिक आयोजन को सफल बनाने में समाज के विभिन्न प्रमुख परिवारों का योगदान रहा है। इनमें प्रमुख रूप से किशोरी गुप्ता, बिजय झा, अशोक वर्मा, विनय कृष्ण गुप्ता, बिजया गुप्ता, श्रीकृष्ण गुप्ता, अवधेश कुमार गुप्ता, मनोज कुमार गुप्ता, उदय वर्मा, सुशील खैतान, संजय चौधरी, सुमन चौधरी, हिम्मत सिंह, दीपक सोनी, संजय गुप्ता, शिवानी झा, कस्तूरी देवी, गीता देवी, अल्का देवी, बबीता देवी, नर्मदा देवी, मनीषा देवी, कविता गुप्ता, सुष्मा वर्मा, माया खैतान, विकास साहू, सुमन देवी आदि शामिल हैं।

इस प्रकार, जीवन में अहंकार त्यागकर और भक्ति तथा विनम्रता का मार्ग अपनाकर, मनुष्य ईश्वर के निकट पहुंच सकता है और आत्मिक शांति प्राप्त कर सकता है।