NEW DELHI | भारतीय टीम के महान स्पिनरों में से एक बिशन सिंह बेदी का सोमवार को 77 वर्ष की उम्र में निधन हो गया. बाएं हाथ के स्पिनर बिशन की सांप की तरह बलखाती एक समय विपक्षी बल्लेबाजों के लिए काल हुआ करती थी. यह उस समय की बात थी जब बिशन बेदी, चंद्रेशखर, ईरापल्ली प्रसन्नाा और वेंकटराघवन की स्पिन चौकड़ी का विश्व क्रिकेट में राह हुआ करता था, भारतीय टीम के कप्तान बिशन बेदी इस चौकड़ी के फ्रंटलाइन स्पिनर थे. 67 टेस्ट में भारत की ओर से 266 विकेट लेने वाले ‘बिशन पाजी’ कप्तान के तौर पर हमेशा अपने प्लेयर्स के साथ खड़े रहे. प्लेयर्स के हित में जरूरत पड़ने पर वे क्रिकेट प्रशासन के सामने खड़े होने से भी नहीं चूके. शायद यही कारण रहा कि अपने दौर के खिलाड़ियों का काफी सम्मान उन्हें हासिल रहा. उनके नेतृत्व में भारतीय टीम ने देश में दिग्गज टीमों को तो शिकस्त दी ही, विदेशों में भी टीम के प्रदर्शन में सुधार भी इसी दौर में आया. बेदी सहित भारत की स्पिन चौकड़ी को अपनी फ्लाइट के जरिये विपक्षी बल्लेबाजों को छलना बखूबी आता था. विकेट लेने के बाद इन स्पिनरों का जश्न मनाने का अंदाज भी अलग होता था. क्रिकेट से संन्यास लेने के बाद बिशन ने अपने स्पिन गेंदबाजों को तैयार करने में भी योगदान दिए. मनिंदर सिंह और मुरली कार्तिक जैसे स्पिनरों ने बेदी के मार्गदर्शन में अपनी खेल कौशल को तराशा. करियर रिकॉर्ड की बात करें तो बेदी ने 67 टेस्ट और 10 वनडे भारत की ओर से खेले. टेस्ट क्रिकेट में 28.71 के औसत से 266 और वनडे में 48.57 के औसत से सात विकेट उनके नाम पर हैं.टेस्ट क्रिकेट में वे 14 बार पारी में पांच या इससे अधिक और एक बार मैच में 10 या इससे अधिक विकेट लेने में सफल रहे. बेशक बेदी वनडे क्रिकेट ज्यादा क्रिकेट नहीं खेले और इस फॉर्मेट के उनके रिकॉर्ड बहुत प्रभावशाली नहीं है लेकिन वर्ल्डकप में सबसे कंजूस गेंदबाजी विश्लेषण में से एक ‘स्पिन के इस सरदार’ के नाम पर दर्ज है. 1975 के वर्ल्डकप में ईस्ट अफ्रीका के खिलाफ बेदी ने अपने 10 ओवर में 8 मेडन रखते हुए 6 विकेट लेकर एक विकेट लिया था. वनडे में 12 ओवर के स्पैल में 8 ओवर मेडन रखना बेदी जैसे करिश्माई स्पिनर के बूते की ही बात थी. 1976-77 के बहुचर्चित वेसलीन कांड में इंग्लैंड जैसी टीम के खिलाफ शिकायत दर्ज करना बिशन सिंह बेदी जैसे खिलाड़ी के बूते की ही बात थी. भारत के दौरे पर आई उस इंग्लैंड टीम में तेज गेंदबाज जॉन लीवर शामिल थे. इस टेस्ट सीरीज के तहत मद्रास (अब चेन्नई) में लीवर हैडबेंड लगाकर मैदान में उतरे थे. मैच में अपनी स्विंग से लीवर ने भारतीय बैटरों को खासा परेशान किया था. लीवर की इस कामयाबी के बीच बेदी ने सनसनीखेज आरोप लगाया था कि लीवर में अपने हैडबेंड में वेसलीन लगाया था, इससे उन्हें गेंद को ज्यादा स्विंग कराने और विकेट लेने में मदद मिली. इंग्लैंड उस समय विश्व क्रि केट की बड़ी ताकत हुआ करता था, ऐसे में बेदी के आरोपों को ज्यादा गंभीरता से नहीं लिया गया. हालांकि बाद में विश्व क्रिकेट में आई बॉल टेम्परिंग की घटनाओं ने इस बात की पुष्टि की कि ‘कृत्रिम कारणों’ से गेंद को अधिक स्विंग कराया जा सकता है. भारतीय क्रिकेट में बाद में बेदी के स्तर और उसके ऊपर के कई खिलाड़ी हुए लेकिन अपने प्लेयर्स के हित में बहादुरी से खड़े होने उनके जैसे टीम मैन बिरले ही होंगे.
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