महुदा । बाघमारा विधानसभा चुनाव 2019 में तीसरी बार के चुनाव में ढुल्लू महतो कांटे की टक्कर में जलेश्वर महतो को हराते हुए 824 मतों के अंतर से जीते थे। यही जीत 2024 के लोकसभा में धनबाद का सांसद बनने का गौरव ढुल्लू महतो को प्राप्त हुआ है। इस बार के चुनाव में सांसद ढुल्लू महतो के बड़े भाई शत्रुघ्न महतो भाजपा के टिकट पर बाघमारा विधानसभा से चुनाव लड़ने जा रहे हैं। ऐसे में कई भाजपाइयों को टिकट नहीं मिला है। वहीं बाघमारा विधानसभा से कांग्रेस पार्टी ने कम अंतर से हारने वाले जलेश्वर महतो को दोबारा टिकट देकर चुनाव मैदान में उतरा गया है। ऐसे में क्या जलेश्वर महतो 2019 के चुनाव में जो प्रदर्शन दिखाए थे। क्या वही जोश खरोश इस चुनाव में देखने को मिलेगा। अगर ऐसा हुआ तो भाजपा की नैया डूबने से कोई रोक नहीं सकेगा। 2019 में बाघमारा विधानसभा क्षेत्र से भाजपा प्रत्याशी ढुल्लू महतो चुनाव जीते है। इससे पहले चुनाव परिणाम को लेकर भाजपा और कांग्रेस के बीच विवाद उत्पन हो गया था। मतगणना समाप्त होने के बाद पहले कांग्रेस प्रत्याशी जलेश्वर महतो करीब 240 मतों से आगे रहे। भाजपा प्रत्याशी ढुल्लू महतो की मांग पर दोबारा गिनती हुई तो परिणाम बदल गया। भाजपा के ढुल्लू महतो करीब 900 वोटों से आगे हो गए। इसके बाद कांग्रेस समर्थक हंगामा करने लगे। चुनाव परिणाम रोक दिया गया है। जिला निर्वाचन पदाधिकारी ने चुनाव आयोग से दिशानिर्देश मांगा कर चुनाव आयोग की अनुमति के बाद परिणाम की घोषणा की गई। तो बीजेपी के ढुल्लू महतो ने जीत दर्ज कर हैट्रिक बनाई। ढुल्लू महतो का कांग्रेस के जलेश्वर महतो से सीधा मुकाबला हुआ था।वही आपको बातें दे बाघमारा सीट से जेवीएम ने संतोष कुमार महतो को अपना उम्मीदवार बनाया था। इस सीट से आजसू ने उम्मीदवार खड़ा नहीं किया था। साल 2014 के विधानसभा चुनाव में ढुल्लू महतो तकरीबन 30 हजार वोटों से जीत दर्ज की थी। वहीं 2009 में ढुल्लू महतो ने 36 हजार 26 मत प्राप्त कर 21 हजार मतों से जदयू व कांग्रेस के पूर्व मंत्रियों को पछाड़ा था। इनमें झारखंड के पूर्व मंत्री के साथ वर्तमान में प्रदेश जदयू के अध्यक्ष जलेश्वर महतो और अविभाजित बिहार के मंत्री रहे ओ पी लाल शामिल थे। इन्हें क्रमशः 36 हजार 66 मत और 27 हजार 8 सौ 81 मत मिले थे। इस चुनाव में भी जदयू प्रत्याशी के रूप में जलेश्वर व भाजपा प्रत्याशी के रूप में ढुल्लू आमने सामने थे। वहीं 2004 में ढुल्लू महतो चुनाव में वनांचल कांग्रेस पार्टी के प्रत्याशी के रूप में 25 हजार वोट हासिल कर विरोधियों को अपनी ताकत का अहसास करा हलचल मचा दिया था। चुनाव में युवाओं की भारी फौज ने उत्साहित होकर उनका साथ दिया था। उनकी जीत ने उन तमाम अनुमानों को झूठा साबित कर दिया था, जिसमें संघर्ष त्रिकोणात्मक होने और इनके मों में कुछ इजाफा होने किंतु मुख्य टक्कर जलेश्वर व लाल के बीच ही होने का कयास लगाया गया था। लेकिन अंततः सारे अनुमान धरे के धरे रह गए थे।
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