Chief Justice of India | जस्टिस भूषण बीआर गवई बन सकते हैं भारत के अगले मुख्य न्यायाधीश, नाम भेजा गया कानून मंत्रालय को

जस्टिस भूषण बीआर गवई बन सकते हैं भारत के अगले मुख्य न्यायाधीश

जस्टिस भूषण बीआर गवई बन सकते हैं भारत के अगले मुख्य न्यायाधीश

Chief Justice of India | मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना की सिफारिश पर भेजा गया नाम, 14 मई को ले सकते हैं शपथ

Chief Justice of India | देश में सर्वोच्च न्यायपालिका के नेतृत्व में जल्द ही बदलाव देखने को मिल सकता है। ‘Next Chief Justice of India’ के रूप में सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठतम जज जस्टिस भूषण बीआर गवई का नाम कानून मंत्रालय को भेजा गया है। यह सिफारिश मौजूदा मुख्य न्यायाधीश जस्टिस संजीव खन्ना द्वारा की गई है, जिनका कार्यकाल 13 मई 2025 को समाप्त हो रहा है।

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परंपरा के अनुसार मौजूदा CJI ही करते हैं उत्तराधिकारी की सिफारिश

कानून मंत्रालय ने मांगा था नाम, जस्टिस खन्ना ने जस्टिस गवई को किया नामित

सुप्रीम कोर्ट की परंपरा के अनुसार, पदस्थ मुख्य न्यायाधीश ही अपने उत्तराधिकारी का नाम केंद्र सरकार को भेजते हैं। इसी परंपरा का पालन करते हुए जस्टिस संजीव खन्ना ने कानून मंत्रालय को जस्टिस भूषण बीआर गवई का नाम प्रस्तावित किया है। यदि राष्ट्रपति भवन से मंजूरी मिलती है, तो जस्टिस गवई 14 मई को देश के 51वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ लेंगे।

जस्टिस गवई का न्यायिक सफर: बॉम्बे हाईकोर्ट से सुप्रीम कोर्ट तक

अनुभव और विविध पृष्ठभूमि ने बनाया उन्हें एक योग्य उत्तराधिकारी

जस्टिस गवई का जन्म 24 नवंबर 1960 को महाराष्ट्र के अमरावती में हुआ था। वे दिवंगत आर.एस. गवई के पुत्र हैं, जो एक प्रतिष्ठित सामाजिक कार्यकर्ता और बिहार एवं केरल के राज्यपाल रह चुके हैं। जस्टिस गवई ने 14 नवंबर 2003 को बॉम्बे हाईकोर्ट में एडिशनल जज के रूप में अपना न्यायिक करियर शुरू किया और 12 नवंबर 2005 को वे स्थायी जज बने। उन्होंने 15 वर्षों से अधिक मुंबई, नागपुर, औरंगाबाद और पणजी की पीठों पर कार्य किया है। 24 मई 2019 को उन्हें सुप्रीम कोर्ट का जज नियुक्त किया गया।

अनुसूचित जाति से आने वाले दूसरे सुप्रीम कोर्ट जज

न्यायिक इतिहास में सामाजिक प्रतिनिधित्व का प्रतीक बनेंगे जस्टिस गवई

जस्टिस बीआर गवई देश के न्यायिक इतिहास में एक विशेष स्थान रखते हैं, क्योंकि वे सुप्रीम कोर्ट में नियुक्त होने वाले अनुसूचित जाति से आने वाले केवल दूसरे जज होंगे। इससे पहले जस्टिस केजी बालाकृष्णन ने यह गौरव प्राप्त किया था, जो 2010 में सेवानिवृत्त हुए थे। उनका आगामी छह महीने का कार्यकाल ऐतिहासिक और प्रेरणादायक होने की संभावना है।