Delhi-NCR Pollution: दिल्ली-एनसीआर में बढ़ते प्रदूषण पर सुप्रीम कोर्ट की अहम सुनवाई, प्रदूषण के कारण शिक्षा प्रभावित, सुप्रीम कोर्ट का हस्तक्षेप

Delhi-NCR Pollution

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Delhi-NCR Pollution: दिल्ली-एनसीआर में लगातार खराब हो रही वायु गुणवत्ता के चलते लागू ग्रैप-4 प्रतिबंधों पर सुप्रीम कोर्ट ने अहम सुनवाई की। अदालत ने फिजिकल कक्षाओं पर लगी पाबंदियों में ढील देने पर विचार करने का निर्देश दिया। जस्टिस अभय एस. ओका और जस्टिस ऑगस्टाइन जॉर्ज मसीह की बेंच ने कहा कि छात्रों की शिक्षा और पोषण से जुड़ी चिंताओं को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।

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मिड-डे मील और स्वास्थ्य के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट की चिंता

सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने इस बात पर जोर दिया कि फिजिकल कक्षाओं के बंद होने से कई छात्र मिड-डे मील का लाभ नहीं उठा पा रहे हैं। इसके अलावा, न्यायालय ने कहा कि समाज के निचले तबके के कई घरों में एयर प्यूरीफायर नहीं हैं। ऐसे में, घर के अंदर और बाहर की हवा में कोई विशेष फर्क नहीं होता।

बोर्ड परीक्षाओं के मद्देनजर फिजिकल कक्षाएं शुरू करने पर विचार

सुप्रीम कोर्ट ने सीएमक्यूएम (कमीशन फॉर एयर क्वालिटी मैनेजमेंट) को 10वीं और 12वीं कक्षाओं के लिए फिजिकल क्लासेस जारी रखने पर विचार करने का निर्देश दिया। अदालत ने कहा कि बोर्ड परीक्षाओं की तैयारी के लिए छात्रों का स्कूल जाना बेहद जरूरी है।

शिक्षा और स्वास्थ्य के बीच संतुलन बनाने की सलाह

अदालत ने स्पष्ट किया कि सीएमक्यूएम को छात्रों की शिक्षा और स्वास्थ्य दोनों पहलुओं को ध्यान में रखकर निर्णय लेना चाहिए। कोर्ट ने सीएमक्यूएम से कहा कि वह अगले दिन तक इस पर फैसला ले।

अभिभावकों की अर्जी पर सुप्रीम कोर्ट का निर्देश

पिछले शुक्रवार को छात्रों के अभिभावकों ने फिजिकल कक्षाएं फिर से शुरू करने के लिए अर्जी दाखिल की थी। उन्होंने बताया कि समाज के निचले तबके के कई परिवार इंटरनेट और इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस न होने के कारण ऑनलाइन शिक्षा से वंचित हैं।

प्रदूषण नियंत्रण के लिए कठोर उपाय

वर्तमान में, दिल्ली-एनसीआर में खतरनाक वायु गुणवत्ता के चलते ग्रैप-4 के तहत कई सख्त प्रतिबंध लागू हैं। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि किसी भी प्रकार की छूट से पहले यह सुनिश्चित करना होगा कि वायु गुणवत्ता में सुधार की स्थिर स्थिति बनी हुई है।

दिल्ली-एनसीआर में बढ़ते प्रदूषण के बीच सुप्रीम कोर्ट का यह निर्णय छात्रों के स्वास्थ्य और शिक्षा के बीच संतुलन बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। अदालत ने स्पष्ट किया कि प्रदूषण नियंत्रण के साथ-साथ छात्रों की शैक्षणिक जरूरतों को पूरा करना भी प्राथमिकता होनी चाहिए।