DHANBAD | एक ही परिवार की छह बहनों के कमाल से धनबाद गौरवान्वित है। सभी प्राचार्य बनीं हैं। बात हो रही है धनबाद शहर के धोवाटांड़ की रहने वाली छह बहनों की। सभी छह बहनों की सफलता की दास्तां इन दिनों चर्चा में है।
राज्य के प्रीमियर कॉलेजों में शामिल पीके राय कॉलेज धनबाद की पहली महिला प्राचार्य डॉक्टर कविता सिंह बनी हैं।
डॉक्टर कविता के प्राचार्य बनने के बाद छात्र-छात्राओं को इन बहनों की मिसाल दी जा रही है। डॉ. कविता सिंह छह बहनें हैं। सभी छह बहनें प्राचार्य बनी हैं। सभी समाज में शिक्षा का अलख जगा रही हैं। सबसे बड़ी बहन ज्योत्सना सिंह कस्तूरबा स्कूल नौबतपुर में प्राचार्य थीं। बिहार शिक्षा सेवा से रिटायर हुई हैं। दूसरी बहन डॉक्टर किरण सिंह चार कॉलेजों केबी महिला कॉलेज हजारीबाग, एसएसएलएनटी महिला कॉलेज धनबाद, आरएसपी झरिया व आरएस मोर कॉलेज गोविंदपुर में प्राचार्य रही हैं। एजुकेशन डीन भी रहीं हैं। तीसरे नंबर पर आशा सिंह स्वयं का दो स्कूल चलाती हैं। स्कूल की प्रिंसिपल डायरेक्टर हैं। चौथे नंबर की बहन रीता सिंह चक्रधरपुर में स्कूल में प्राचार्य हैं। पांचवें नंबर की बहन डॉक्टर सरिता सिंह रामगढ़ महिला कॉलेज की प्राचार्य हैं। सबसे छोटी बहन डॉक्टर कविता सिंह पीके राय कॉलेज की प्राचार्य बनी हैं। डा. कविता कोयलांचल विश्वविद्यालय में पीजी विभागाध्यक्ष भी हैं।
पिता थे विधायक, चाचा नगरपालिका अध्यक्ष
डॉक्टर कविता सिंह के पिता स्व. रामधनी सिंह वर्ष 1967 में धनबाद के विधायक रह चुके हैं। मां स्व. कलावती देवी भारत छोड़ो आंदोलन व जयप्रकाश नारायण के आंदोलन में काफी सक्रिय थीं। चाचा रामखेलावन सिंह धनबाद नगरपालिका के अध्यक्ष रह चुके हैं। उनका परिवार 100 वर्ष पहले धनबाद आया था।
बचपन से ही पढ़ाई की मिली आजादी
डॉक्टर कविता सिंह कहती हैं कि घर में शुरू से ही पढ़ाई का माहौल था। माता-पिता का मानना था कि बेटियों का आत्मनिर्भर होना जरूरी है। बेटियों को आजादी व सम्मान की शुरुआत घर से मिलनी चाहिए। उसके बाद समाज भी उसे शाबाशी देता है। यही कारण है कि हम सभी बहनों को पढ़ने की आजादी मिली। सभी आज अपने-अपने क्षेत्र में बेहतर मुकाम पर हैं। मेरा सभी बेटियों से अपील है कि पढ़ाई के लिए अपनी इच्छा को दबाएं नहीं। पढ़ाई जरूर करें। यह आपको आत्मनिर्भर बनाने में सहायक होगा।