धनबाद : गांधी सेवा सदन में दिव्य ज्योति जागृती संस्थान के द्वारा प्रेस वार्ता का आयोजन किया गया है। प्रेस वार्ता के माध्यम से बताया गया 10 जनवरी से लेकर 16 जनवरी तक नेहरू कंपलेक्स ग्राउंड बीसीसीएल कोयला नगर धनबाद में श्री शिव महापुराण कथा ज्ञान यज्ञ का आयोजन का कार्यक्रम किया जायेगा।
स्वामी धनंजयानंद जी ने मीडिया को बताया कि समाज में धर्म के नाम पर फैल रही अराजकता पाखंड को दूर कर भगवान की शाश्वत भक्ति हेतु प्रेरित करना समाज का दायित्व है। भारत से विलुप्त हो रही देसी गाय के संरक्षण संवर्धन के लिए संस्थान ने कामधेनु प्रकल्प चलाया जहां भारत के चार प्रमुख नस्ल साहीवाल, थारपारकर, गर और कांकरेज जैसी गायो के पालन हेतु अनेक गौशाला का निर्माण किया जा रहा है तथा समाज का अपने देसी गाय के गुणवत्ता को बताया जाता है ताकि समाज पुनः भारतीय नस्ल के गायो को पाले। इन गायों का दूध पौष्टिक व बलवर्धक होता है।
युवाओं में लगे नशा के लत ने समाज को कोढ की तरह बीमार कर रहा है। गुरुदेव कहते हैं कि युवा देश को रीढ की हड्डी है अगर हमारा मेरुदंड ही नाकाम हो जाए तो हम निष्क्रिय हो जाते हैं इसलिए समाज को बचाने के लिए हमें इन युवाओं को जागृति करनी होगी इन्हें ऊर्जावान बनाना होगा। संस्थान द्वारा आध्यात्मिक उत्थान हेतु कथाओं का आयोजन किया जाता है इसी श्रृंखला में श्री शिव महापुराण कथा ज्ञान यज्ञ का आयोजन किया जा रह है। 10 जनवरी से 16 जनवरी 2024 तक दोपहर के 2:00 बजे से संध्या 6:00 बजे तक होने जा रहा है। इस कथा हेतु भूमि पूजन 31 दिसंबर 2023 को कथा स्थल नेहरू कंपलेक्स कोयला नगर में होगी। संस्थान के संस्थापक व संचालक सर्वश्री आशुतोष महाराज जी के शिष्य डॉक्टर सर्वेश्वर जी कथा व्यास पीठ पर सुशोमत होंगे जो भगवान शिव के विभिन्न स्वरूपों के आध्यात्मिक व वैज्ञानिक तथ्य के द्वारा भक्ति रस से ओत प्रोत शरण संगीत में कथा प्रस्तुत करेंगे। भगवान शिव जो आदिवासी अनंत है जिसे वेद भी नेति-नेति कहते हैं। जो सभी को अपने शरण में स्थान देते हैं जिन्हें औघड़ दानी भी कहा जाता है। ऐसे में शिव को कैसे जाने उनकी भक्ति कैसे करें कथा के माध्यम से कथा व्यास हम भक्तों को जिज्ञासा को शांत करेंगे।
आगे उन्होंने अभी कहा कि आज के समाज में अनेकों कथाएं हो रही है पर हमारे समाज में कोई परिवर्तन नहीं दिख रहा है जबकि हम सब सुनते आए हैं और कथावाचक भी कहते हैं की सदना कसाई, अंगुलिमाल डाकू, रत्नाकर जैसे दैत्य को जीवन में परिवर्तन आए हुए भक्त के श्रेणी में आ गया।