रांची (एजेंसी): राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू गुरुवार की शाम करीब 7 बजे रांची आएंगी। राजभवन में रात्रि विश्राम करेंगी। वह 20 सितंबर को नामकुम स्थित राष्ट्रीय कृषि उच्चतर प्रसंस्करण संस्थान (आईसीएआर) के 100 वर्ष पूरा होने पर आयोजित समारोह में भाग लेंगी। सुबह 11 बजे से शुरू होने वाले कार्यक्रम में राष्ट्रपति मुख्य अतिथि हैं। राज्यपाल संतोष कुमार गंगवार, सीएम हेमंत सोरेन, केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान, केंद्रीय राज्य मंत्री भागीरथ चौधरी व रक्षा राज्य मंत्री संजय सेठ अतिथि के रूप में शामिल होंगे।
पेड़ मां के नाम अभियान के तहत पौधारोपण करेंगी राष्ट्रपति
संस्थान के निदेशक अभिजित कर ने बुधवार को कहा कि सबसे पहले राष्ट्रपति एक पेड़ मां के नाम अभियान के तहत पौधारोपण करेंगी। इसके बाद संस्थान के पुराने और वर्तमान वैज्ञानिकों के साथ संस्थान के बारे में चर्चा करेंगी। अभिजित ने कहा कि संस्थान के नवाचार ने 100 करोड़ की अतिरिक्त वार्षिक आय अर्जित की और देश भर में लाख उत्पादन को स्थिरता प्रदान किया। भारत सालाना लगभग 8,000 टन लाख और मूल्यवर्धित उत्पादों का निर्यात करता है। भारत में सालाना 20 हजार टन लाह का उत्पादन; इसमें 55% योगदान झारखंड का, 70 देश में होता है निर्यात राष्ट्रीय कृषि उच्चतर प्रसंस्करण संस्थान (आईसीएआर) नामकुम 100 साल का हो गया है। 20 सितंबर 1924 को इसकी स्थापना हुई थी। संस्थान कई उपलब्धियां का साक्षी है। पर, संस्थान को लाह उद्योग के क्षेत्र में थाइलैंड और इंडोनेशिया से कड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। इन देशों की आर्थिक नीतियां और व्यापारिक रणनीतियां भारत के लिए चुनौतीपूर्ण हैं। वैसे संस्थान खुद को उन्नत करने और प्रमुख सुधारों पर जोर तो दे रहा है, पर बगैर बड़े हस्तक्षेप के यह संभव नहीं है।
संस्थान तीन महत्वपूर्ण डेवलपमेंट की वकालत कर रहा है। इनमें लाह को राष्ट्रीय स्तर पर कृषि उपज का दर्जा देना, आवासीय सुविधाओं के साथ उन्नत प्रशिक्षण केंद्र की स्थापना करना और लाह के व्यावसायिक उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए रेफरल प्रयोगशाला स्थापित करना शामिल है। भारत सालाना लगभग 20 हजार टन लाह का उत्पादन करता है। जिसमें झारखंड का योगदान 55% है। फूड पैकेजिंग, औषधि, सौंदर्य प्रसाधन में बढ़ी डिमांडलाह का उपयोग पहले कपड़ा रंगाई, आभूषण बनाने, मोम सीलिंग और लकड़ी की सजावट में किया जाता रहा है। अब फूड पैकेजिंग, औषधि, सौंदर्य प्रसाधन और पोषण उत्पाद जैसे उद्योगों में प्लास्टिक के विकल्प के रूप में लाह की डिमांड बढ़ी है। हालांकि, बढ़ती मांग के बावजूद, भारत का लाख उत्पादन मात्रा और गुणवत्ता दोनों में अंतरराष्ट्रीय जरूरतों को पूरा करने के लिए संघर्ष कर रहा है।