🛑 प्रशासन की आंखों के सामने फल-फूल रहा है काले हीरे का धंधा
🔍 Introduction
Illegal Coal Trade in Dhanbad: झारखंड के धनबाद जिले में गोविंदपुर और बरवाअड़डा का इलाका अब अवैध कोयला कारोबार का अड्डा बनता जा रहा है। खासकर बाघमारा अनुमंडल के अंतर्गत आने वाले क्षेत्रों में धड़ल्ले से अवैध कोल डिपो खुल रहे हैं। कोयले की इस काली कमाई में कुछ रसूखदार और प्रभावशाली लोगों की भूमिका भी सामने आ रही है।
🚲 कैसे होता है अवैध कोयले का परिवहन?
सूत्रों के मुताबिक, फुलवार, रामकनाली, कांको और एट लाइन जैसे इलाकों में साइकिल और मोटरसाइकिल के माध्यम से कोयला रातों-रात जमा किया जाता है। इसके बाद तड़के सुबह 5 बजे से 7 बजे तक उसे गोविंदपुर और बरवाअड़डा स्थित डिपो और भट्ठों तक पहुंचाया जाता है। रात के अंधेरे में यह सारा कारोबार बिना रोकटोक के चलता है।
👤 कौन हैं इसके पीछे?
स्थानीय लोगों का दावा है कि इस काले धंधे में अब लोकतंत्र के पहरेदार तक शामिल हो गए हैं, जो अपनी जिम्मेदारियों के बदले चंद सिक्कों में बिक रहे हैं। कुछ पुलिस और प्रशासनिक अधिकारी भी इस अवैध व्यापार की ओर से आंख मूंदे बैठे हैं, जिससे पूरे क्षेत्र में अवैध कोयले का नेटवर्क मजबूत होता जा रहा है।
🏭 अवैध डिपो और भट्ठे कैसे कर रहे काम?
इन अवैध डिपो और ईंट भट्ठों में कोयले का उपयोग खुलेआम किया जा रहा है। इन पर न तो पर्यावरणीय स्वीकृति है और न ही किसी प्रकार का वैध रजिस्ट्रेशन। बावजूद इसके ये अवैध रूप से रोज़ लाखों के कोयले को खपाकर राज्य को राजस्व की भारी क्षति पहुंचा रहे हैं।
🧾 निष्कर्ष
धनबाद का गोविंदपुर और बरवाअड़डा क्षेत्र अवैध कोयला खपाने का हॉटस्पॉट बन चुका है। प्रशासनिक उदासीनता और राजनीतिक संरक्षण के चलते यह कारोबार तेजी से फैल रहा है। यदि समय रहते सख्त कदम नहीं उठाए गए, तो यह काली अर्थव्यवस्था पूरे क्षेत्र के लिए खतरा बन सकती है।
