इजराइल हमास जंग शुरू होने के 13 दिन बाद हमास ने 2 अमेरिकी बंधकों को रिहा कर दिया। फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने कहा कि ये कतर की मध्ययसथ्ता से संभव हो पाया है। अमेरिका अपनी सभी नागरिकों को रिहा कराना चाहता है। इसके लिए इजराइल पर दबाव बनाया जा रहा है कि वो गाजा में घुसने के अपने प्लान को कुछ दिनों के लिए टाल दे। दरअसल, गाजा से बंधकों को छुड़ाना आसान काम नहीं है। 7 अक्टूबर से ही बंधकों की रिहाई के लिए बैठकें और दौरे किए जा रहे हैं। 7 अक्टूबर को जैसे ही अमेरिका को जानकारी मिली की हमास ने कई नागरिकों को बंधक बना लिया है। तभी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने कतर के प्रधानमंत्री मोहम्मद बिन अब्दुल रहमान बिन जासिम अल-थानी को फोन किया। ब्लिंकन ने अल-थानी के सामने बंधकों का मुद्दा उठाया। अमेरिकी डिप्लोमैट्स को उम्मीद थी कि बंधकों को छुड़वाने के लिए कतर मध्यस्थता करवा सकता है और यही हुआ भी। न्यूयॉर्क टाइम्स के मुताबिक, अगले 2 हफ्तों तक ब्लिंकन और दूसरे अमेरिकी अधिकारी कतर के डिप्लोमैट्स के संपर्क में रहे।
कतर से ही ऑपरेट करता है हमास चीफ
इस दौरान तुर्किये, मिस्र और फ्रांस के अधिकारियों के बीच कई बार बैठकें भी हुई। संधि के लिए कतर को इसलिए चुना गया क्योंकि ये देश अमेरिका का सहयोगी होने के साथ ही हमास से भी संबंध रखता है। हमास चीफ इस्माइल हानिया भी राजधानी दोहा से ही काम करते हैं। कतर पहले भी अमेरिका और हमास जैसे संगठनों के बीच मध्यस्थता करवा चुका है। इसके बाद 20 अक्टूबर की रात को हमास ने दो अमेरिकी बंधकों जूडिथ और नताली रानन को छोड़ दिया। ये दोनों मां-बेटी हैं। दोनों के आजाद होते ही अमेरिकी अधिकारियों ने कतर को धन्यवाद कहा। 2 अमेरिकी बंधकों के आजाद होने पर बाकी करीब 200 बंदियों के परिजनों के मन में भी उम्मीद जागी है कि एक दिन शायद उनके रिश्तेदार-दोस्त भी घर वापस लौट सकेंगे। पूर्व FBI एजेंट रॉबर्ट डीएमिको ने लंबे समय तक बंधकों से जुड़े केस पर काम किया है। उन्होंने न्यूयॉर्क टाइम्स को बताया कि इन 2 बंधकों को छोड़ने के पीछे की एक बड़ी वजह ये हो सकती है कि ये दोनों स्वस्थ थे। मध्यस्थता के बाद जब किसी बंधक को छोड़ा जाता है तो आमतौर पर इसके लिए घायल बंधकों को नहीं चुना जाता। इस दौरान यही मैसेज देने की कोशिश रहती है कि सभी लोगों को कैद में सुरक्षित रखा गया था। न्यूयॉर्क टाइम्स के मुताबिक, हमास ने जब लोगों को अगवा किया था तब उनमें से कई लोग बुरी तरह से घायल थे। इनमें कैलिफोर्निया का भी एक नागरिक था, जिसका ग्रेनेड हमले में आधा हाथ उड़ गया था। इसके अलावा रानन परिवार को चुनने की पीछे की दूसरी वजह ये भी हो सकती है कि वो अमेरिकी थे। दरअसल, पिछले दिनों मीडिया रिपोर्ट्स में लगातार ये दावा किया जा रहा था कि बाइडेन इजराइली PM नेतन्याहू को गाजा पर हमले को कुछ दिन के लिए टालने को कह रहे हैं। ऐसे में हमास बाइडेन सरकार के सामने अपनी छवि को कुछ हद तक सुधारने की कोशिश कर रहा है, जिससे इजराइल की जवाबी कार्रवाई कुछ नर्म पड़ सके।
हमास ने बंधकों को अलग-अलग ग्रुप्स में बांटा
हमास ने गाजा में सड़कों के नीचे अंडरग्राउंड टनल बनाकर इजराइल से पकड़े गए लोगों को रख रखा है। न्यूयॉर्क टाइम्स के मुताबिक, इंटेलिडजेंस एक्सपर्ट्स का मानना है कि हमास ने अपने बंधकों को अलग-अलग गुटों में बांट दिया है। इजराइली सैनिकों को आम नागरिकों से अलग रखा गया है। हमास के बंधकों में 1 साल से 85 साल की उम्र तक के लोग हैं। इन्हें भी कई ग्रुप्स में रखा गया है। इजराइल लगातार गाजा में बिल्डिंग, मस्जिद और स्कूलों पर हमला कर रहा है। ये देखते हुए हमास बंधकों के जमीन के नीचे बनी सुरंगों में रख रहा है। इसकी वजह से सैनिकों के लिए हथियार ले जाने के बावजूद बंधकों को छुड़ाना काफी मुश्किल काम है। हमास ने जिन लोगों को बंधक बना रखा है, उनमें कई विदेशी नागरिक भी शामिल हैं। ऐसे में उन देशों के पास बातचीत के जरिए अपने नागरिकों को छुड़वाने की कोशिश करने के अलावा फिलहाल कोई रास्ता नहीं है।
न्यूयॉर्क टाइम्स के मुताबिक, हमास के कई राजनीतिक नेता 7 अक्टूबर को इजराइल में हुए हमले से किनारा करने की भी कोशिश कर रहे हैं। वो ये दिखाने की कोशिश कर रहे हैं कि इजराइलियों पर हमला गाजा के गुस्साए लोगों और कुछ दूसरे संगठनों के लोगों ने किया था। उन्होंने ही लोगों को बंधक भी बना रखा है। इसमें हमास के लड़ाकों का कोई हाथ नहीं है।