Jeetpur Colliery Closure Decision: सेल जीतपुर खदान बंदी के निर्णय को लेकर राजश्रसं ने विधायक को सौंपा ज्ञापन

Jeetpur Colliery Closure Decision

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Jeetpur Colliery Closure Decision: प्रतिनिधिमंडल ने बड़कागांव विधायक से की कोलियरी बचाने की अपील, सीबीआई जांच की मांग उठाई

Jeetpur Colliery Closure Decision: राजश्रसं ने जताई गहरी आपत्ति, कहा – सुनियोजित साजिश है खदान बंद करना

Jeetpur Colliery Closure Decision: Steel Authority of India Limited (SAIL) द्वारा Jeetpur Colliery Closure Decision को लेकर किए गए निर्णय के विरोध में राष्ट्रीय जनता श्रमिक संघ (राजश्रसं) के एक प्रतिनिधिमंडल ने बड़कागांव विधायक और झारखंड विधानसभा की पर्यावरण संरक्षण समिति के सदस्य रौशन लाल चौधरी को ज्ञापन सौंपा। प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व महामंत्री अवधेश कुमार और संयुक्त महामंत्री उदय शर्मा ने किया।

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ज्ञापन में जताई गई 800 करोड़ के पेनाल्टी से बचाने की साजिश की आशंका

ज्ञापन में यह आरोप लगाया गया कि स्थानीय प्रबंधन, डीजीएमएस और सीएमएफआर की आड़ लेकर एक प्रशासकीय साजिश के तहत खदान बंदी का फैसला किया गया है, ताकि एक पसंदीदा संवेदक को 800 करोड़ रुपये की पेनाल्टी से बचाया जा सके। राजश्रसं नेताओं ने कहा कि यह निर्णय राष्ट्रीय संपत्ति की बर्बादी के समान है, जिससे करीब 50 मिलियन टन उच्च गुणवत्ता वाले कोयले की हानि होगी।

प्रमुख पांच बिंदुओं में उजागर की गई अनियमितताएं

ज्ञापन में पांच अहम बिंदुओं को प्रमुखता से उठाया गया, जिसमें खदान बंद करने के पीछे की योजनाबद्ध कार्यप्रणाली, आर्थिक नुकसान, श्रमिकों की आजीविका, पर्यावरणीय प्रभाव और पारदर्शिता की कमी को विस्तार से बताया गया। राजश्रसं ने इस पूरे मामले की केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) से जांच कराने की मांग भी रखी है।

स्थानीय प्रतिनिधियों की उपस्थिति और समर्थन

इस मौके पर जीतपुर शाखा के सचिव रंजीत यादव गुड्डू, अध्यक्ष संजय बहादुर, फैजान करीम समेत कई अन्य श्रमिक प्रतिनिधि और स्थानीय कार्यकर्ता उपस्थित रहे। सभी ने एकमत होकर कोलियरी को पुनः चालू करने की मांग की और कहा कि यदि यह निर्णय वापस नहीं लिया गया, तो वे चरणबद्ध आंदोलन के लिए बाध्य होंगे।

निष्कर्ष

Jeetpur Colliery Closure Decision के खिलाफ राजश्रसं द्वारा विधायक को सौंपा गया ज्ञापन कोलियरी में कार्यरत हजारों श्रमिकों की चिंता को दर्शाता है। यह मामला सिर्फ एक खदान बंदी का नहीं, बल्कि एक राष्ट्रीय संसाधन की रक्षा और श्रमिक हितों की सुरक्षा का है। सरकार से मांग की गई है कि इस गंभीर मुद्दे पर त्वरित संज्ञान लेकर निष्पक्ष जांच कराई जाए और कोलियरी बंदी का निर्णय तत्काल प्रभाव से रद्द किया जाए।