Katras News: कतरास बाजार स्थित राजागढ़ राजबाड़ी के माँ शीतला मंदिर में शनिवार को श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ी। सैकड़ों भक्तों ने माँ शीतला की पूजा-अर्चना कर अपनी आस्था प्रकट की। यह मंदिर सिर्फ एक धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि आस्था और विश्वास का केंद्र बन चुका है, जहां आने वाले श्रद्धालु माँ के आशीर्वाद से अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति होते हुए देखते हैं।
मंदिर का ऐतिहासिक महत्व और पुनर्निर्माण

इस मंदिर की स्थापना वर्ष 1962 में पंडित स्वर्गीय सदानंद चटर्जी ने एक छोटे खपरैल घर के रूप में की थी। समय के साथ भक्तों की आस्था और श्रद्धा बढ़ती गई, जिसके चलते वर्ष 2020 में मंदिर का नवीकरण कर इसे भव्य स्वरूप दिया गया। अब यह मंदिर न सिर्फ धार्मिक अनुष्ठानों का केंद्र है, बल्कि दूर-दराज से श्रद्धालु यहाँ अपनी मनोकामनाएं लेकर आते हैं और माँ की कृपा से उनकी इच्छाएँ पूरी भी होती हैं।
श्रद्धालुओं की आस्था और विश्वास

माँ शीतला के प्रति लोगों की अटूट श्रद्धा का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि कई भक्त वर्षों से यहाँ पूजा करने आते हैं। महिला श्रद्धालु कंचन देवी, जो पिछले 20 वर्षों से यहाँ पूजा कर रही हैं, ने बताया कि उन्होंने माँ की शक्ति को अनुभव किया है और देखा है कि जो भी सच्चे मन से प्रार्थना करता है, उसकी मनोकामना माँ के आशीर्वाद से पूरी हो जाती है।
स्थानीय निवासी उषा पटवा ने कहा कि जब वह 30 साल पहले विवाह कर इस गाँव में आईं, तब से उनकी सास उन्हें इस मंदिर में लाती थीं। उन्होंने अनुभव किया है कि माँ शीतला की कृपा से घर की हर विपत्ति दूर हो जाती है। यही कारण है कि उनका और उनके परिवार का माँ के प्रति अटूट विश्वास बना हुआ है।
गाँव में माँ शीतला की कृपा और चमत्कारी शक्ति
कहा जाता है कि मंदिर के निर्माण से पहले इस गाँव के लोग अक्सर बीमार और परेशान रहते थे। पंडित स्वर्गीय सदानंद चटर्जी ने माँ शीतला की अस्थाना स्थापित कर नियमित पूजा-अर्चना शुरू की, जिसके बाद गाँव के लोगों की परेशानियाँ धीरे-धीरे समाप्त होने लगीं। तभी से माँ शीतला के प्रति गाँववासियों की आस्था और विश्वास बढ़ता गया।
मंदिर में पूजा-अर्चना का संचालन
इस मंदिर में पंडित भोलानाथ चक्रवर्ती, समीर चक्रवर्ती, सिंटू चक्रवर्ती, उत्तम चक्रवर्ती और चक्रवर्ती परिवार के अन्य सदस्य नियमित रूप से पूजा-अर्चना कर भक्तों की सेवा में लगे रहते हैं। पुजारी भोलानाथ चक्रवर्ती का कहना है कि पहले इस मंदिर में गिने-चुने श्रद्धालु आते थे, लेकिन अब यह स्थान सैकड़ों श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र बन चुका है।