KATRAS | तंत्रमंत्र एवं कर्मकांड के बिना सामूहिक गीतों के माध्यम से मनाया जाता है करमा महोत्सव:राजेंद्र प्रसाद राजा

कतरास के झींझी पहाड़ी में धूमधाम से मनाया गया प्रकृति का त्यौहार करमा पर्व

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KATRAS | झींझी पहाड़ी ग्राम पंचायत के शिव मंदिर प्रांगण में करम एकादशी के पूर्वसंध्या दशमी के शाम करम महोत्सव का आयोजन किया गया। जिसमें दर्जनों करममैती उपवासी एवं सैंकड़ों महिलाएं करम महोत्सव में शामिल हो कर पारम्परिक गीतों में नृत्य की। सर्वप्रथम झारखंड के पुरोधा बिनोद बिहारी महतो के सौवीं जयंती पर उनके चित्र पर माल्यार्पण व श्रद्धा सुमन अर्पित किया गया। इस अवसर करम/जावा गीतों व नृत्य प्रस्तुत कर संगीतमय माहौल बना दिया। आयोजक झामुमो नेता राजेन्द्र प्रसाद राजा ने महोत्सव को संबोधित करते हुए कहा कि करम पर्व प्राकृति मूलक एक आदि एवं झारखंड का द्वितीय सबसे बड़ा लोकपर्व है, जिसे भादो शुक्ल एकादशी के दिन बहनें‌ अपने भाई की रक्षा व उन्नति की कामना के साथ मनाती हैं। भाई-बहन के अटूट प्रेम बंधन और रक्षा के प्रतीक करम परब बिना तंत्र-मंत्र एवं कर्मकांड के सामूहिक रूप से गीतों के माध्यम से मनाया जाता है। इस परब में उत्तम कृषि एवं फसलों की रक्षा की कामना की जाती है। करमा-धरमा की कहानी, सात तरह की बीज, जावा डाली, करमडाल इत्यादि जो करम परब में उपयोग होता है, उसे विस्तार पूर्वक बताया गया। महोत्सव को झामुमो सह बीसीकेयू केंद्रीय सचिव कंचन महतो ने सम्बोधित करते हुए कहा कि इस तरह के आयोजन से अपने सांस्कृतिक के प्रति जागरूकता और पारम्परिक परब पर लगाव बढ़ेगा। प्रकृति त्योहार पर आधारित करम महोत्सव में शामिल सभी धन्यवाद एवं आयोजकों को बधाई दी। पूरा आयोजन कतरास इप्टा के मो नासिर खान के निर्देशन एवं बिष्णु कुमार के देख-रेख में संपन्न हुई। महोत्सव में मुख्य रूप से शत्रुघ्न महतो, साधन महतो, अधिवक्ता भैरवनाथ महतो, शिक्षक माणिक महतो व परितोष महतो, दिनेश महतो, प्रदीप कुमार महतो, साजन महतो, रुपा कुम्हार, छोटेलाल दास, प्रवीण कुम्हार, कमल दास, रुपेश महतो, सुभाष महतो, शक्ति महतो, शंकर महतो, अमर मोदक, कुशध्वज महतो, कार्तिक कुम्हार, संतोष महतो सहित कई गणमान्य ग्रामीण उपस्थित थे।

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