Repo Rate से लेकर CRR तक – समझिए आरबीआई के मौद्रिक नीति उपकरण
Knowledge Nugget: UPSC अभ्यर्थियों के लिए क्यों जरूरी है मौद्रिक नीति की समझ
Knowledge Nugget: RBI’s Monetary policy instruments—From Repo Rate to CRR, UPSC aspirants must-know – यह टॉपिक सिविल सेवा परीक्षाओं की तैयारी कर रहे छात्रों के लिए बेहद अहम है। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) देश की मौद्रिक नीति को नियंत्रित करता है, जिसके माध्यम से वह मुद्रा प्रवाह, महंगाई और आर्थिक स्थिरता पर असर डालता है। इसके लिए वह विभिन्न मौद्रिक उपकरणों का इस्तेमाल करता है, जो अक्सर UPSC, SSC और बैंकिंग परीक्षाओं में पूछे जाते हैं।
रेपो रेट (Repo Rate) – जब बैंक लेते हैं RBI से कर्ज
रेपो रेट वह दर होती है जिस पर वाणिज्यिक बैंक अल्पकालिक जरूरतों के लिए RBI से ऋण लेते हैं। जब RBI रेपो रेट बढ़ाता है, तो बैंकों के लिए कर्ज लेना महंगा हो जाता है, जिससे बाजार में नकदी घटती है। यह महंगाई नियंत्रण का एक अहम जरिया है।
रिवर्स रेपो रेट (Reverse Repo Rate) – RBI बैंकों से पैसे लेता है
यह वह दर होती है जिस पर RBI बैंकों से उनकी अतिरिक्त नकदी लेता है। जब रिवर्स रेपो रेट बढ़ती है, तो बैंक अपना पैसा RBI के पास रखना पसंद करते हैं, जिससे बाजार से नकदी घटती है।
कैश रिजर्व रेश्यो (CRR) – बैंकों के पास रखी जाने वाली न्यूनतम नकदी
CRR वह न्यूनतम प्रतिशत होता है जो बैंकों को अपने कुल जमा का RBI के पास नकद के रूप में रखना होता है। इससे बाजार में नकदी की मात्रा को नियंत्रित किया जाता है। अगर CRR बढ़ाया जाए, तो बैंकों के पास उधार देने के लिए कम पैसा बचता है।
स्टैच्यूटरी लिक्विडिटी रेश्यो (SLR) – बैंक कितनी राशि सुरक्षित निवेश में रखें
SLR वह न्यूनतम प्रतिशत है जो बैंक सरकारी प्रतिभूतियों (government securities) या अन्य सुरक्षित साधनों में निवेश करके रखते हैं। यह भी एक मौद्रिक नियंत्रण उपाय है।
ओपन मार्केट ऑपरेशन्स (OMO) – RBI द्वारा बॉन्ड की खरीद-बिक्री
RBI सरकारी बॉन्ड्स की खरीद या बिक्री करके बाजार में तरलता को नियंत्रित करता है। जब RBI बॉन्ड खरीदता है, तो बाजार में नकदी बढ़ती है और जब बेचता है, तो नकदी घटती है।
निष्कर्ष
UPSC के लिए जरूरी है मौद्रिक नीति की पूरी समझ
UPSC सहित कई प्रतियोगी परीक्षाओं में आरबीआई की मौद्रिक नीति और उसके उपकरणों से जुड़े प्रश्न लगातार पूछे जाते हैं। Repo Rate, CRR, Reverse Repo Rate, SLR, OMO जैसे टॉपिक्स को गहराई से समझना न सिर्फ परीक्षा की दृष्टि से लाभकारी है, बल्कि देश की अर्थव्यवस्था को समझने के लिए भी आवश्यक है। ऐसे विषयों की गहन तैयारी से अभ्यर्थी न केवल परीक्षा में बेहतर कर सकते हैं, बल्कि एक जागरूक नागरिक के रूप में भी सशक्त बनते हैं।