Nation News: कांग्रेस ने वक्फ संशोधन बिल 2024 को संविधान पर हमला करार देते हुए इसका कड़ा विरोध किया है। पार्टी का आरोप है कि यह कानून देश के सदियों पुराने सामाजिक सद्भाव को कमजोर करने के लिए लाया जा रहा है। कांग्रेस ने यह भी दावा किया कि यह बिल अल्पसंख्यक समुदायों को बदनाम करने और उन्हें निशाना बनाने की बीजेपी की सुनियोजित रणनीति का हिस्सा है।
विधेयक से सामाजिक ताने-बाने को खतरा: कांग्रेस
कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा कि यह विधेयक गंभीर रूप से दोषपूर्ण है और इसके लागू होने से देश की बहु-धार्मिक संरचना को नुकसान होगा। उन्होंने आरोप लगाया कि बीजेपी झूठे प्रचार और पूर्वाग्रह को बढ़ावा देकर अल्पसंख्यक समुदायों को बदनाम करने की कोशिश कर रही है।
संवैधानिक अधिकारों को कमजोर करने का आरोप
रमेश ने कहा कि यह विधेयक उन संवैधानिक प्रावधानों को कमजोर करने के लिए लाया गया है, जो सभी धर्मों के नागरिकों को समान अधिकार और सुरक्षा प्रदान करते हैं। उन्होंने इसे अल्पसंख्यकों की धार्मिक परंपराओं और संस्थाओं पर हमला करार दिया और कहा कि इसका उद्देश्य समाज में स्थायी ध्रुवीकरण पैदा करना है, जिससे चुनावी लाभ उठाया जा सके।
वक्फ संस्थाओं को कमजोर करने की कोशिश
कांग्रेस का आरोप है कि सरकार सुनियोजित तरीके से वक्फ प्रबंधन के लिए बनाए गए सभी संस्थानों की स्थिति और अधिकारों को खत्म करने की कोशिश कर रही है। इससे अल्पसंख्यक समुदाय अपने धार्मिक संस्थानों और संपत्तियों के प्रशासनिक अधिकारों से वंचित हो जाएगा।
विधेयक की पांच बड़ी खामियां
कांग्रेस ने इस विधेयक को पांच प्रमुख कारणों से दोषपूर्ण बताया:
- वक्फ संपत्तियों की परिभाषा में अस्पष्टता – अब यह तय करने में भ्रम की स्थिति है कि कौन वक्फ उद्देश्यों के लिए भूमि दान कर सकता है।
- उपयोगकर्ता द्वारा वक्फ की अवधारणा को समाप्त किया गया – न्यायपालिका द्वारा विकसित इस परंपरा को खत्म कर दिया गया है, जिससे धार्मिक संपत्तियों का संरक्षण कमजोर होगा।
- वक्फ प्रशासन को कमजोर करने का प्रयास – बिना किसी ठोस कारण के मौजूदा कानून के प्रावधानों को हटा दिया गया है।
- अतिक्रमणकारियों को कानूनी सुरक्षा – वक्फ संपत्तियों पर कब्जा करने वालों को बचाने के लिए नए सुरक्षा उपाय जोड़े गए हैं।
- सरकारी नियंत्रण बढ़ाने की कोशिश – वक्फ संपत्तियों से जुड़े विवादों में जिलाधिकारी और राज्य सरकार के अधिकारियों को अतिरिक्त अधिकार दिए गए हैं, जिससे सरकारी हस्तक्षेप बढ़ेगा।
कांग्रेस ने की विधेयक वापस लेने की मांग
कांग्रेस ने इस विधेयक को अल्पसंख्यकों के अधिकारों पर हमला बताते हुए इसे तुरंत वापस लेने की मांग की है। पार्टी का कहना है कि यह न केवल संविधान के मूल सिद्धांतों का उल्लंघन करता है, बल्कि देश की गंगा-जमुनी तहजीब को भी नुकसान पहुंचाएगा।
अब देखने वाली बात यह होगी कि सरकार इस विधेयक को लेकर क्या रुख अपनाती है और विपक्ष इसके विरोध में कितनी मजबूती से खड़ा रहता है।
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