Odisha News || झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और ओडिशा के राज्यपाल रघुवर दास के इस्तीफे के बाद राजनीतिक गलियारों में उनकी बीजेपी में वापसी को लेकर चर्चाएं तेज हो गई हैं। दास, जो झारखंड में बीजेपी के एक मजबूत नेता और पूर्व मुख्यमंत्री रहे हैं, ने हाल ही में ओडिशा के राज्यपाल पद से इस्तीफा दिया है। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू द्वारा उनके इस्तीफे को स्वीकार कर लिया गया है।
ओडिशा के राज्यपाल पद से इस्तीफा
रघुवर दास ने 18 अक्टूबर 2023 को ओडिशा के राज्यपाल का पद संभाला था। उन्हें ओडिशा उच्च न्यायालय के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश डॉ. न्यायमूर्ति विद्युत रंजन सारंगी द्वारा शपथ दिलाई गई थी। लेकिन महज कुछ महीनों के भीतर, उन्होंने इस पद से इस्तीफा दे दिया। अब मिजोरम के गवर्नर हरी बाबू कांभांपती को ओडिशा का नया राज्यपाल नियुक्त किया गया है।
राजनीतिक सफर और उपलब्धियां
- झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री
रघुवर दास झारखंड के पहले गैर-आदिवासी मुख्यमंत्री के रूप में 2014 से 2019 तक कार्यरत रहे। उनकी यह उपलब्धि झारखंड की राजनीति में एक ऐतिहासिक कदम मानी जाती है। - विधायक के रूप में योगदान
दास ने पांच बार जमशेदपुर ईस्ट विधानसभा सीट से जीत दर्ज की। 1995 से लेकर झारखंड के गठन के बाद भी वह इस सीट से लगातार जीतते रहे। - बीजेपी के संस्थापक सदस्य
रघुवर दास 1980 में बीजेपी के संस्थापक सदस्य बने। उन्होंने पार्टी के लिए राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर कई महत्वपूर्ण पदों पर काम किया और आरएसएस के पूर्व पदाधिकारी के रूप में भी पार्टी को मजबूती प्रदान की। - अजेय राजनीतिक करियर
अपने पूरे राजनीतिक करियर में रघुवर दास ने कभी चुनाव नहीं हारा। यह उनकी लोकप्रियता और जनाधार का प्रमाण है।
परिवार और नई पीढ़ी का उदय
2024 के विधानसभा चुनाव में रघुवर दास की बहू पूर्णिमा साहू ने जमशेदपुर ईस्ट सीट से कांग्रेस के अजय कुमार को 42 हजार वोटों के अंतर से हराकर जीत दर्ज की। यह जीत उनके परिवार की राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ाने की ओर इशारा करती है।
बीजेपी में वापसी की चर्चा
रघुवर दास का इस्तीफा और उनकी बहू की जीत ने अटकलों को जन्म दिया है कि वह दोबारा सक्रिय राजनीति में लौट सकते हैं। दास बीजेपी के एक कद्दावर नेता रहे हैं और उनकी वापसी से पार्टी को झारखंड में नई ऊर्जा मिल सकती है।
निष्कर्ष
रघुवर दास का राजनीतिक सफर संघर्ष और उपलब्धियों से भरा रहा है। उनके राज्यपाल पद से इस्तीफे के बाद, उनकी बीजेपी में वापसी को लेकर चर्चाएं जोरों पर हैं। अगर ऐसा होता है, तो यह झारखंड और राष्ट्रीय राजनीति में महत्वपूर्ण बदलाव ला सकता है। उनकी लोकप्रियता और नेतृत्व क्षमता बीजेपी के लिए एक नई ताकत साबित हो सकती है।