PM Modi News || अजमेर शरीफ दरगाह भारत की सबसे पवित्र सूफी स्थलों में से एक है, जहाँ हर साल लाखों श्रद्धालु देश-विदेश से अपनी श्रद्धा अर्पित करने आते हैं। इस बार भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी ओर से चादर चढ़ाने की परंपरा को जारी रखते हुए केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू को यह जिम्मेदारी सौंपी है। हालांकि, इस कदम का हिंदू सेना की ओर से विरोध किया जा रहा है, जिसने इसे विवादित मुद्दा बताते हुए पीएमओ को पत्र लिखा है।
अजमेर शरीफ पर चादर चढ़ाने की परंपरा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पिछले 11 वर्षों से ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह पर चादर चढ़ा रहे हैं। इस बार 4 जनवरी को केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू उनकी ओर से चादर चढ़ाएंगे। साथ ही, रिजिजू दरगाह की आधिकारिक वेबसाइट और ‘गरीब नवाज ऐप’ का उद्घाटन भी करेंगे।
पिछले वर्षों में बीजेपी के अन्य वरिष्ठ नेताओं ने यह परंपरा निभाई थी। पिछली बार प्रधानमंत्री द्वारा भेजी गई चादर का रंग भगवा था, जिसे लेकर भी चर्चा हुई थी।
हिंदू सेना का विरोध और कोर्ट का मामला
हिंदू सेना ने इस बार अजमेर शरीफ पर चादर चढ़ाने का विरोध किया है। संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष विष्णु गुप्ता ने पीएमओ को पत्र लिखकर मांग की है कि जब तक अजमेर शरीफ दरगाह और संकट मोचन महादेव मंदिर के बीच चल रहा मामला अदालत में लंबित है, तब तक चादर चढ़ाने के कार्यक्रम को स्थगित कर दिया जाए।
गुप्ता का दावा है कि अजमेर शरीफ दरगाह का क्षेत्र प्राचीन हिंदू शिव मंदिर का स्थान है, जिसका निर्माण चौहान वंश ने किया था। उन्होंने इसके लिए कोर्ट में वैज्ञानिक सर्वेक्षण की मांग भी की है।
उर्स के दौरान विशेष कार्यक्रम
अजमेर शरीफ में वार्षिक उर्स का आयोजन 28 दिसंबर से शुरू हो चुका है। इस धार्मिक आयोजन के दौरान विभिन्न समुदायों के लोग ख्वाजा गरीब नवाज की दरगाह पर आकर अपनी श्रद्धा व्यक्त करते हैं। प्रधानमंत्री द्वारा भेजी गई चादर इस आयोजन का महत्वपूर्ण हिस्सा बनती है।
निष्कर्ष
प्रधानमंत्री मोदी की ओर से दरगाह पर चादर चढ़ाने की परंपरा सांप्रदायिक सद्भाव का प्रतीक मानी जाती है। हालांकि, हिंदू सेना द्वारा उठाए गए सवाल और कोर्ट में लंबित मामले ने इस मुद्दे को विवादित बना दिया है। देखना होगा कि सरकार इस मामले पर क्या कदम उठाती है।