बच्चों ने अपनी अंतर ज्ञान प्रज्ञा को विकसित किया
RANCHI/JAMSHEDPUR| झारखंड के विभिन्न शहरों में दी आर्ट ऑफ लिविंग की इंट्यूशन प्रोसेस कार्यशाला में बच्चे बढ़ चढ़ के भाग लिए। रांची व जमशेदपुर मे कार्यशाला का नेतृत्व झारखंड स्टेट चिल्ड्रन एंड टींस कोऑर्डिनेटर मयंक सिंह ने किया जिससे बच्चो में अंतर्ज्ञान विकसित हो सके। इंट्यूशन का अर्थ है सही समय पे सही विचार का आना, ये योग्यता जीवन मे सफल होने की पहली सीढ़ी है। इसे छठी इंद्री भी कहते है, बच्चे बिना रोग द्वेष के होते है और उनमें यह छठी इंद्री को आसानी से जागृत वह पोषित किया जा सकता है। इस प्रोसेस के बाद बच्चों का मन शांत लेकिन गतिशील रहता है, नया रचनात्मक विचार आते है और बेहतर निर्णय सहजता से लेना आ जा सकता है। ये कार्यशाला सिर्फ पांच से 18 वर्ष के बच्चो के लिए होता है।ध्यान, प्राणायाम, योग और कुछ अनूठी तकनीक के मदद से ब्रेन को एक्टिव किया जाता है। इस कार्यक्रम में उन्हें पांच इंद्रियों के परे देखना सिखाया गया। कार्यक्रम का आधार उन गहरी और गूढ़ शक्तियों को प्रस्फुटित करना है। यह कार्यक्रम बच्चों के अंतर्ज्ञान में सुधार करती है और उनकी संवेदी क्षमताओं को बढ़ाती है।2 दिन के कार्यक्रम के बाद छात्र-छात्राएं कागजों पर रंग संख्या अक्षर को समझने में सक्षम रहते है। सहज ज्ञान युक्त क्षमताओं तक पहुंच बनाकर ऐसा किया जिससे उन्हें अंतरिक्ष वर्क से जुड़ने में मदद मिली। सत्र के बाद भाग लेने वाले विशेष रूप से सक्षम शास्त्र बहुत आत्मविश्वास से भरे हुए पाए गए।इस कार्यशाला को सफल बनाने में झानवी गोस्वामी, प्रीति सरायवाला, स्वप्ना साहू, शशिकला द्विवेदी, अनुप कुमार, हर्षद वायदा, चांदनी अग्रवाल, सोनाली सिंह, मुकेश महतो, श्रेया सिन्हा, रिया तायल, सुमित कुमार, विभु गौतम, मोक्षिता गौतम, निशा झा इत्यादि का महत्वपूर्ण योगदान रहा।