श्रीमद्भागवत कथा रासलीला 2025:रासलीला काम की नहीं, आत्मा और परमात्मा के मिलन की कथा है
श्रीमद्भागवत कथा रासलीला 2025: कथा प्रवचन में प्रेम, भक्ति और वैराग्य की सजीव झलक
श्रीमद्भागवत कथा रासलीला 2025: सिंदरी में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा रासलीला 2025 के अंतिम दिन मध्य प्रदेश से आईं प्रसिद्ध आध्यात्मिक वक्ता और आस्था-भजन-सत्संग चैनल की चर्चित प्रवक्ता डॉ. अमृता करूणेश्वरी जी ने भावपूर्ण प्रवचन में भगवान श्रीकृष्ण की दिव्य लीलाओं का जीवंत वर्णन किया। उन्होंने रासलीला को आत्मा और परमात्मा के मिलन का प्रतीक बताते हुए कहा कि यह कथा काम को बढ़ाने की नहीं, बल्कि उस पर विजय प्राप्त करने की प्रेरणा देती है।
कामदेव की हार और श्रीकृष्ण की श्रेष्ठता का बोध
डॉ. अमृता जी ने बताया कि रासलीला में कामदेव ने सम्पूर्ण सामर्थ्य के साथ भगवान श्रीकृष्ण पर हमला किया, लेकिन वे उसे परास्त कर विजयी हुए। उन्होंने स्पष्ट किया कि रासलीला को केवल सांसारिक दृष्टिकोण से देखना या शंका करना भी पाप की श्रेणी में आता है। यह कथा अध्यात्म और प्रेम की उच्चतम स्थिति को दर्शाती है।
गोपी गीत और उद्धव चरित्र में छिपा भक्ति का रहस्य
गोपी गीत पर चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि जब जीव में अहंकार आता है, तो भगवान उससे दूर हो जाते हैं। विरह में ही श्रीकृष्ण कृपा करते हैं और दर्शन देते हैं। उद्धव चरित्र की व्याख्या करते हुए बताया कि उद्धव जी में ज्ञान था परंतु प्रेम और भाव की कमी थी, जो गोपियों के सान्निध्य में पूर्ण हुई। इसी माध्यम से भगवान श्रीकृष्ण ने उद्धव जी को सम्पूर्ण ब्रह्मांड के दर्शन कराए और यह समझाया कि हर कण में कृष्ण का वास है।
जजमान गौरव वक्ष सिंह के आयोजन की सराहना
कथा से पूर्व मुख्य यजमान गौरव वक्ष उर्फ लक्की सिंह ने अपनी पत्नी संग भागवत पूजन और आरती की। कथावाचिका ने श्री सिंह को अदम्य साहसी, कर्मठ और बौद्धिक शक्ति से सम्पन्न बताते हुए उनके द्वारा किए गए इस भव्य आयोजन की सराहना की। उन्होंने कहा कि ऐसा दिव्य आयोजन किसी साधारण व्यक्ति के बस की बात नहीं है।
राधे-मोहन मंदिर में मूर्ति प्राण प्रतिष्ठा और विशाल भंडारा
कथा के अंतिम दिन राधे-मोहन मंदिर में अहले सुबह से ही श्रीविग्रह प्राण प्रतिष्ठा की शुभ तैयारी शुरू हुई, जिसमें क्षेत्र के सैकड़ों श्रद्धालु शामिल हुए। इसके पश्चात विशाल भंडारे का आयोजन किया गया, जिसमें सिंदरी विधानसभा क्षेत्र से हजारों लोगों ने प्रसाद ग्रहण कर पुण्य अर्जित किया। मंदिर परिसर का पवित्र और दिव्य वातावरण श्रद्धालुओं के मन को भक्ति भाव से भर गया।
📌 निष्कर्ष
श्रीमद्भागवत कथा रासलीला 2025 का समापन न केवल भक्ति और आध्यात्मिकता का अद्भुत संगम बना, बल्कि श्रीकृष्ण की दिव्य शिक्षाओं ने श्रोताओं को आत्ममंथन और प्रेम की शक्ति का संदेश दिया। इस आयोजन ने क्षेत्र में अध्यात्म की चेतना को जाग्रत किया और जनमानस को श्रीकृष्ण के चरित्र की गहराई से जोड़ दिया।