Sindri News: सिन्दरी में संकल्प दिवस के रूप में मनाई गई बिरसा मुंडा की पुण्यतिथि, उठी सामाजिक परिवर्तन की पुकार
Sindri News: भावपूर्ण श्रद्धांजलि के साथ शुरू हुआ कार्यक्रम
Sindri News: सिन्दरी के बिरसा परिसर में 9 मई 2025 को स्वतंत्रता सेनानी और उलगुलान आंदोलन के महानायक बिरसा मुंडा की पुण्यतिथि को संकल्प दिवस के रूप में मनाया गया। इस अवसर पर अनेक बिरसा प्रेमियों और सामाजिक कार्यकर्ताओं की उपस्थिति रही, जिन्होंने बिरसा मुंडा के आदर्शों को याद करते हुए उन्हें श्रद्धांजलि दी।
आनंद महतो ने उलगुलान के विचार को बताया आज भी प्रासंगिक
पूर्व विधायक कामरेड आनंद महतो ने अपने संकल्प संदेश में कहा कि “बिरसा सिर्फ स्वतंत्रता सेनानी नहीं, बल्कि एक दूरदर्शी नेता थे, जिन्होंने सामाजिक शोषण के विरुद्ध आवाज उठाई। उनका मंत्र था – जहां दमन है, वहां उलगुलान है।” उन्होंने यह भी कहा कि स्वस्थ समाज की स्थापना के लिए बिरसा का सफेद झंडा प्रतीक है, जबकि अधिकारों की लड़ाई में लाल झंडा उनका उलगुलान दर्शाता है। उन्होंने बिरसा को आज भी दमन और भ्रष्टाचार के खिलाफ नेतृत्व का प्रतीक बताया।
विधायक चन्द्रदेव महतो ने बिरसा को बताया शिक्षा और संस्कृति का संरक्षक
विधायक चन्द्रदेव महतो ने अपने वक्तव्य में बिरसा मुंडा को एक ऐसे योद्धा के रूप में याद किया जिन्होंने न केवल स्वतंत्रता की लड़ाई लड़ी बल्कि आदिवासी समाज को शिक्षित, संगठित और आत्मनिर्भर बनाने का कार्य भी किया। उन्होंने बिरसा के योगदान को आदिवासी संस्कृति की रक्षा और समाज के आर्थिक विकास से जोड़ते हुए प्रेरणादायक बताया।
नारे और एकता से गूंजा बिरसा परिसर
इस आयोजन में उपस्थित जनसमूह ने “बिरसा मुंडा अमर रहें” और “बिरसा हम तुम्हें नहीं भूलेंगे” जैसे नारों से परिसर को बिरसामय बना दिया। यह नारे जनमानस में बिरसा के अमिट प्रभाव को दर्शाते हैं।
आयोजन में शामिल प्रमुख लोगों का योगदान
इस कार्यक्रम को सफल बनाने में सुरेश प्रसाद, अम्बुज कुमार मंडल, विमल कुमार, छोटन चटर्जी, सहदेव सिंह, महालाल हासदा, ध्रुव दास, फुल चंद हासदा, विरिचि महतो, सागर मंडल, अमर सिंह, नुनु लाल टुडु, डॉक्टर हेड लाल डुडु, मधु दास, मधु सरकार, दशरथ ठाकुर, साजन हरिजन, ओमप्रकाश राम, रवि कुमार, विवेक रवानी, अजय रवानी, मंटू कुमार, राजू बावड़ी, प्रताप बाउरी सहित कई सामाजिक कार्यकर्ताओं का महत्वपूर्ण योगदान रहा।
निष्कर्ष
बिरसा मुंडा की पुण्यतिथि पर आयोजित यह संकल्प दिवस केवल एक श्रद्धांजलि नहीं, बल्कि सामाजिक चेतना और बदलाव की पुकार था। उनके विचार आज भी दमन और अन्याय के खिलाफ संघर्ष करने वाले हर व्यक्ति के लिए प्रेरणा हैं। बिरसा का उलगुलान आज भी जीवित है – समाज को दिशा देने के लिए।