Sindri News: रोहड़ाबांध के प्लॉट नंबर 987 को खाली कराने की तैयारी, 100 से अधिक परिवारों ने जताया विरोध
Sindri News: रोहड़ाबांध मोज़ा के FCI Land Dispute से जुड़े विवाद ने बुधवार को नया मोड़ ले लिया, जब फर्टिलाइजर कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (FCI) प्रबंधन ने न्यायालय के आदेश पर प्लॉट नंबर 987 को खाली कराने के लिए बुलडोजर चलाने का फैसला किया। इस जमीन पर दशकों से रह रहे करीब 100 परिवारों ने इस फैसले के खिलाफ जोरदार प्रदर्शन किया और पुनर्वास की मांग को लेकर सरकार एवं स्थानीय विधायक से हस्तक्षेप की अपील की।
चार पीढ़ियों से रह रहे लोग, बोले- पहले पुनर्वास फिर विस्थापन
ग्रामीणों का कहना है कि यह जमीन भले ही फर्टिलाइजर कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया की है, लेकिन वे यहां चार पीढ़ियों से रह रहे हैं और पूरी तरह से इसी जमीन पर आश्रित हैं। उन्होंने मांग की है कि जब तक उचित पुनर्वास की व्यवस्था नहीं की जाती, तब तक किसी भी प्रकार की बेदखली या तोड़फोड़ स्वीकार्य नहीं होगी।
कोर्ट का आदेश और प्रशासन की तैयारी
धनबाद के सिविल जज चतुर्थ द्वारा इस जमीन को खाली कराने का आदेश दिया गया है। इसी आदेश के आलोक में एफसीआई प्रबंधन ने 23 अप्रैल को बुलडोजर कार्रवाई का निर्णय लिया है, जिससे क्षेत्र में तनाव की स्थिति उत्पन्न हो गई है। इस निर्णय के खिलाफ स्थानीय निवासियों ने आज गौशाला बाजार में विरोध प्रदर्शन किया।
विरोध प्रदर्शन और पुतला दहन
गौशाला बाजार में आयोजित प्रदर्शन में स्थानीय नागरिकों ने एफसीआई प्रबंधन का पुतला दहन किया और हाथों में तख्तियां लेकर जुलूस निकाला। प्रदर्शन का नेतृत्व प्रभावित लोगों की ओर से रामनाथ शर्मा, अनिल कुमार शर्मा, राजेश गुप्ता और वामपंथी नेता विकास कुमार ठाकुर ने किया।
जनभागीदारी से मजबूत हुआ आंदोलन
प्रदर्शन में बड़ी संख्या में महिलाएं और बच्चे भी शामिल हुए। रिंकी शर्मा, गौरी देवी, लक्ष्मी शर्मा, खैरून निशा, जितेंद्र यादव, अमितेश सिंह, पिंटू अग्रवाल, सियाराम यादव, पिंटू गुप्ता, रामेश्वर रवानी, अवी रवानी, कल्लू गुप्ता सहित सैकड़ों ग्रामीणों ने एकजुटता दिखाई और पुनर्वास की मांग को लेकर आवाज बुलंद की।
निष्कर्ष
FCI Land Dispute को लेकर ग्रामीणों की नाराजगी चरम पर, पुनर्वास के बिना हटाने पर विरोध तेज
FCI द्वारा जमीन खाली कराने की कार्रवाई से पूर्व स्थानीय निवासियों को पुनर्वास की सुविधा उपलब्ध कराना अत्यंत आवश्यक है। कोर्ट का आदेश अपनी जगह है, लेकिन सामाजिक संतुलन और मानवीय संवेदनाओं के आधार पर इन परिवारों के लिए वैकल्पिक व्यवस्था सुनिश्चित करना प्रशासन की प्राथमिकता होनी चाहिए। विरोध प्रदर्शन से साफ है कि यदि पुनर्वास के बिना कोई कार्रवाई की गई तो क्षेत्र में और भी बड़ा जनविरोध देखने को मिल सकता है।