Vinodini Yatra Anushthan: काव्य और संस्कृति प्रेमियों ने मनाई सांस्कृतिक शाम

काव्य और संस्कृति प्रेमियों ने मनाई सांस्कृतिक शाम

काव्य और संस्कृति प्रेमियों ने मनाई सांस्कृतिक शाम

Vinodini Yatra Anushthan: धनबाद में “नाट्यसम्राज्ञी विनोदिनी यात्रा अनुष्ठान” का हुआ भव्य मंचन

Vinodini Yatra Anushthan: धनबाद के हीरापुर हरिमंदिर परिसर में काव्य और संस्कृति को समर्पित संस्था खुशीमना द्वैरथ द्वारा “नाट्यसम्राज्ञी विनोदिनी यात्रा अनुष्ठान” ([Vinodini Yatra Anushthan]) का आयोजन किया गया। यह आयोजन रंगमंच और साहित्य के समर्पित प्रेमियों के लिए एक अविस्मरणीय सांस्कृतिक अनुभव रहा। इस भव्य यात्रा का निर्देशन सुप्रसिद्ध रंग निर्देशक तपन राय ने किया।

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नाटक में जीवंत किरदारों ने दर्शकों का दिल जीता

इस नाट्ययात्रा में रामकृष्ण की भूमिका स्वयं निर्देशक तपन राय ने निभाई, जबकि गिरिश घोष के रूप में सुदीप विश्वास, सुरत की भूमिका में अनिंदिता साहा, और मुख्य किरदार विनोदिनी की भूमिका में वंदना घोषाल ने अपने अभिनय से दर्शकों को भावविभोर कर दिया।
हृदय के रूप में मनोजित सान्याल, राम की भूमिका में मनोज मजुमदार, गुर्मुख राय बने कल्याण गुप्त, रसराज के रूप में आशीष भट्टाचार्य, रांगाबाबू बने सोमनाथ चक्रवर्ती और अतुल की भूमिका निभाई अनुप कुमार दत्त ने।

बंगाली साहित्य को मिली नई उड़ान: “साल शिमुलेर गंधो” का हुआ विमोचन

कार्यक्रम के समापन अवसर पर धनबाद के प्रसिद्ध साहित्यकार एवं कवि स्वर्गीय प्रभात कुमार भट्टाचार्य द्वारा रचित बंगाली उपन्यास “साल शिमुलेर गंधो”, जिसे उन्होंने छद्म नाम हुल के नाम से लिखा था, का विमोचन किया गया। इस उपन्यास को बिनोद बिहारी महतो कोयलांचल विश्वविद्यालय के बंगला विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. मानस आचार्य ने रिलीज किया।

संगीत और नृत्य की प्रस्तुतियों ने बढ़ाई शोभा

इस मौके पर संगीत और नृत्य की प्रस्तुतियाँ भी आकर्षण का केंद्र रहीं। आरात्रिका साहा और निर्झर वक्सी ने मनमोहक संगीत प्रस्तुत किया, जबकि श्रेया, सृष्टि और अन्य कलाकारों ने मनभावन नृत्य प्रस्तुत कर कार्यक्रम में चार चाँद लगा दिए।

निष्कर्ष

Vinodini Yatra Anushthan: साहित्य और रंगमंच का अनुपम संगम

“नाट्यसम्राज्ञी विनोदिनी यात्रा अनुष्ठान” ([Vinodini Yatra Anushthan]) सिर्फ एक नाट्य प्रस्तुति नहीं, बल्कि साहित्य, संस्कृति और संवेदना का एक जीवंत संगम था। यह आयोजन न केवल रंगमंच प्रेमियों के लिए प्रेरणास्रोत बना, बल्कि स्थानीय कला, साहित्य और कलाकारों को भी एक नई पहचान देने का काम किया। धनबाद जैसे औद्योगिक शहर में ऐसे सांस्कृतिक आयोजन एक सकारात्मक और सृजनशील ऊर्जा का संचार करते हैं।