Asian Dwarkadas Jalan Super Specialty Hospital | एशियन हॉस्पिटल में गैस्ट्रो से संबंधित सभी जटिल बीमारियों का ईलाज उपलब्‍ध

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Asian Dwarkadas Jalan Super Specialty Hospital | एंडोस्कोपी, कोलोनोस्कोपी, कैप्सूल एंडोस्कोपी, वेरिशियल बैंडिंग, स्क्लेरोथेरेपी फ़ाइब्रोस्कैन से स्वस्थ हुए सैकड़ों मरीज़

धनबाद: एशियन जालान सुपरस्पेशलिटी हॉस्पिटल के अनुभवी और विशेषज्ञ गैस्ट्रोएंटेरोलॉजिस्ट डॉ. हिमांशु ने गैस्ट्रो से संबंधित समस्याओं के लक्षण और उनके समाधान हेतु बहुत ही महत्वपूर्ण बातें साझा की। धनबाद और आसपास के इलाके के मरिजों को गैस संबंध शिकायतें रहती है, पेट फूल जाता है या टाइट हो जाता है, गैस ज्यादा निकलती है, पेट से गुडगुड की आवाजें बहुत आती है, इन सभी शिकायतों के कारण अलग हो जाते हैं। ज्यादातार लोग खाली पेट गैस की गोली खाने लगते हैं लेकिन उनको राहत नहीं मिलती।कई मरीजों के पेट में लहर होती है जो खाना खाने से कम हो जाती है या फिर खाने के बाद भी सही नहीं होती, थोड़ा सा खाना खाने के बाद पेट भर जाता है, ऐसी समस्या को डायस्पेप्सिया बोला जाता है, जो एच.पाइलोरी बैक्टीरिया के पेट में संक्रमण होने की वजह से होती है।

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भारत की 80% जनता इस संक्रमण से ग्रस्त है, लेकिन इस कारण से दिक्कत सिर्फ 15-20% मरीजों को ही होती है। अपच के अलावा एच.पाइलोरी बैक्टीरिया की वजह से पेप्टिक अल्सर रोग और गैस्ट्रिक कैंसर जैसी खतरनाक बीमारी भी होती है। जिन मैरीजॉन को अपच की शिकायत होती है, उनकी एंडोस्कोपी द्वार एच.पाइलोरी बैक्टीरिया की जांच की जाती है और 14 दिन को दवा के कोर्स के बाद ये मरीज ठीक हो जाते हैं।धनबाद के बहुत से पेट के रोगियों को कब्ज (कब्ज या खुसाला न होना) की शिकायत होती है, डॉ.हिमांशु ने बताया कि इस बीमारी की शिकायत बहुत आम है और ये हमारे खराब जीवन शैली की वजह से और दूसरी बीमारियों के कारण भी होती है।

ज्यादतर कब्ज के मामले, कब्ज के कारण होने वाले विकार, जिनके रोगी को लगता है कि शौच के वक्त खुलासा नहीं हुआ। सुबह शौच में खुलासा होने के लिए कुछ चीजों का सही होना जरूरी है, जैसे कि, खाना टाइम से खाना, खाने में सलाद लेना, पानी अच्छे से पीना, एक्सरसाइज करना और रात में टाइम से सोना। अगर कोई भी रात का खाना 10-11 बजे खायेंगे तो उनको कब्ज की शिकायत रहने की पूरी संभावना होगी। रात का खाना सूरज ढलने के बाद ना खाये। कुछ मरीज़ों की आंत में रुकावट होने की वजह से कब्ज की समस्या होती है, इसके लिए कोलोनोस्कोपी की जाती है, जो एशियन हॉस्पिटल में उपलब्ध है। जिन मरीजों की कोलोनोस्कोपी नॉर्मल आती है उनके मलाशय के रास्ते के दवाब जांच की जाती हैइस जांच को एनो रेक्टलमेनी मेट्री कहते हैं, जो एशियाई जालान अस्पताल में की जाती है।यदि किसी को भी शौच के साथ ब्लड मिक्स हो कर आ रहा है और शौच कई बार हो रहा है तो ऐसे मरिज को इंफ्लेमेटरी बाउल डिजीज (आईबीडी) होने की संभावना है, और ये देखा गया है के ये मरीज ज्यादातर पाइल्स का इलाज करा रहें हैं, आईबीडी एक गंभीर बीमारी है जिसका इलाज डायग्नोसिस कन्फर्म होने के बाद जल्द से जल्द शुरू किया जाना चाहिए, जिन मरीजों की आईबीडी नियंत्रित नहीं रहती उन्हें आगे चलकर कैंसर होने का खतरा रहता है।

आईबीडी नाभि के पास मरोड़ मार के दर्द और पतले मल की तरह होती है जिसे वर्तमान में “क्रोहन रोग” से जाना जाता है, उसकी जांच पेट के सीटी सैकन एवं कोलोनोस्कोपी द्वारा की जाती है। जिन मरीज़ों को बवासीर में खून आता है, उन्हें सिग्मायोडोस्कोपी की ज़रूरत होती है और उन्हें बवासीर में एक दवा डाली जाती है, जिस से से बवासीर से खून निकलना बंद हो जाता है और मरीज़ों को बवासीर की सर्जरी करवाने की ज़रूरत नहीं पड़ती। डॉ.हिमांशु ने बताया कि जिन मरीज़ों को उल्टी में खून आता है उनके कारणों में पेप्टिक अल्सर रोग, लीवर खराब हो जाना (शराब के सेवन से, क्रोनिक हेपेटाइटिस बी, सी, ऑटोइम्यून हेपेटाइटिस), होती है ऐसे कारणों को एंडोस्कोपी की जांच द्वारा पता लगाया जाता है और यदि अल्सर की वजह से रक्तस्राव होता है तो एंडोस्कोपी द्वारा ब्लीडिंग को रोका जाता है,यदि लीवर खराब होने की वजह से उलटी में खून आता है तो उसको वैरिसियल ब्लीडिंग बोलते है, जिसकी वैरिस की बैंडिंग की जाति और ग्लू या स्क्लेरोज़िंग एजेंट का इंजेक्शन लगाया जाता है।

डॉ. हिमांशु ने बताया कि ये सारी जांच और इलाज की सुविधा एशियन जालान हॉस्पिटल में उपलब्ध है। अगर किसी मरीज़ को काली शौच हो रही है तो इस मामले में एंडोस्कोपी और कॉलिनिस्कोपी कर के रक्तस्राव का स्रोत ढूंढा जाता है, और अगर इसमें मरीज़ को काली शौचालय का कारण नहीं मिलता तो छोटी आंत में इसके स्रोत की खोज की जाती है। छोटी आंत में रक्तस्राव का स्रोत खोजने के लिए कैप्सूल एंडोस्कोपी की जाति है, जो एशियन जालान अस्पताल में उपलब्ध है। यदि किसी मरीज़ को पीलिया पित की नली में रुकावत हो या पिट की नाली में सिकुडन आने की वजह से होता है तो इसके लिए “ईआरसीपी” की जाति है और ये सारी सुविधा भी एशियाई अस्पताल में उपलब्ध है। वजन बढ़ने की वजह से फैटी लीवर की शिकायत हो जाती है जो आज भारत में लिवर खराब होने का शराब के बाद, दूसरा सबसे आम कारण है जिसको एम ए एस एल डी बोलते है। इस के उपचार के लिए फ़ाइब्रोस्कैन जैसी अत्याधुनिक तकनीक का उपयोग किया जाता है, जिससे पता चलता है की लीवर कितना हार्ड हो गया है और फिर उस मर्ज के हिसाब से उपचार किया जाता है।

अग्न्याशय नाम की एक बहुत ही महत्वपूर्ण ग्रंथि हमारे शरीर में होती है, जो खाने को पचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है, इतना ही नहीं, शरीर में जो इंसुलिन का उत्पादन भी पैंक्रियाज द्वारा होता है जो लोग लंबे समय से शराब का सेवन कर रहे होते हैं उनकी अग्न्याशय खराब हो जाती है उसको क्रोनिक पैन्क्रियाटाइटिस बोलते हैं, जिस की हर प्रकृति की जांच डॉक्टर हिमांशु के नेतृत्व में होती है। तीव्र अग्नाशयशोथ का सबसे आम कारण पित्ताशय में पथरी है, जिनको हम ईआरसीपी के द्वारा निकाल देते हैं। यदि कोई बच्चा सिक्का निगल गया हो या पेंसिल या बटन बैटरी निगल गया हो तो उसको एंडोस्कोपिक फॉरेन बॉडी रिमूवलप्रक्रिया से निकालने की जरूरत है, जो मरीज़ एसिड पी लेते हैं और उनके खाने की नली और पेट सिकुड़ जाते हैं, ऐसे में मरीज़ों के खाने की नली और पेट को दूरबीन द्वारा चौड़ाया जाता है जिस को एंडोस्कोपिक डिलेटेशन बोलते है,ये सारी सुविधाएं एशियन जालान अस्पताल में डॉ.हिमांशु द्वारा की जाती है।

डॉ.हिमांशु ने कैप्सूल एंडोस्कोपी के द्वारा की गई जांच पर प्रकाश डाला और बताया कि एक मरीज को 2018 में हार्ट अटैक पड़ा था, उसके बाद स्टेंट लगाया गया था, 2023 से इस मरीज को हर 3-4 महीने में 2-3 दिन के लिए काला शौच होता था और उनका रक्त (हीमोग्लोबिन) कम हो जाता था, इसके लिए मरीज़ को 3-4 बार अस्पताल में भर्ती होना पड़ता था और जनवरी, 2024 में 4 यूनिट रक्त चढ़ाना पड़ा था और कई बार मरीज की एंडोस्कोपी और कॉलिनिस्कोपी की गई थी लेकिन ब्लीडिंग का सोर्स नहीं मिला। इस वर्ष ये पेशेंट एशियन जालान हॉस्पिटल में भर्ती हुआ,इस मरीज की एंडोस्कोपी और कोलोनोस्कोपी करने के बाद भी कोई ब्लीडिंग का सोर्स नहीं मिला, इस के बाद डॉ.हिमांशु ने कैप्सूल एंडोकॉपी की। जिसमें इस मरीज को छोटी आंत में काई जगह एंजियोएक्टेसियास मिले जिन का इलाज प्रक्रिया और दवाई के माध्यम से सफलतापूर्वक उपचार किया गया और रोगी को कुछ दवाइयाँ निर्धारित समय के लिए दी गई।

इस इलाज के बाद मरीज को अब काली शौचालय नहीं हो रही है और वह पूर्ण रूप से स्वस्थ है और वह डॉ.हिमांशु के अनुसार दिए हर दिनचर्या का पालन कर रहा है। डॉ. हिमांशू ने बताया कि अगर किसी मरीज को पित्ताशय का कैंसर है या पित की नली में होने वाले कैंसर की वजह से अगर आतों में सिकुड़न आती है या खाने की नली में रुकावत लाइलाज कैंसर की वजह से हो तो मरीज को खाना खाने के बाद उल्टियां शुरू हो जाति है ,ऐसे में डॉ.हिमांशु द्वारा एंडोस्कोपी से मेटल स्टेंट डाला जाता है और रास्ते को खोल दिया जाता है इसके उपरांत मरीज आराम से खाना खाने लगता है। एशियन हॉस्पिटल में ये महत्वपूर्ण जानकारी देने के लिए एशियन हॉस्पिटल के सेंटर हेड डॉ.सी. राजन, डॉ.हिमांशु और पदाधिकारी ताजुदीन उपस्थित थे।