दीक्षांत समारोह || छत्तीसगढ़ का योगदान: विकसित भारत की दिशा में एक कदम
दीक्षांत समारोह || राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने छत्तीसगढ़ प्रवास के दौरान कहा कि वर्ष 2047 तक भारत को विकसित राष्ट्र बनाने में छत्तीसगढ़ का योगदान अहम होगा। उन्होंने नागरिकों के समग्र विकास में स्वास्थ्य को महत्वपूर्ण माना और कहा कि अच्छा स्वास्थ्य उत्पादकता और रचनात्मकता बढ़ाता है।
दीक्षांत समारोह में छात्रों को मिले पुरस्कार और उपाधियाँ
राष्ट्रपति ने पंडित दीनदयाल उपाध्याय स्मृति स्वास्थ्य विज्ञान एवं आयुष विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में 25 छात्रों को 33 स्वर्ण पदक और 6 छात्रों को सुपर स्पेशलिस्ट की उपाधि प्रदान की। इस अवसर पर 6 सुपरस्पेशलिस्ट, 606 स्नातकोत्तर और 5725 स्नातक चिकित्सकों को उपाधि भी दी गई।
स्वास्थ्य सेवा में जनजातीय समाज की चुनौतियाँ
राष्ट्रपति ने सिकल सेल एनीमिया जैसी गंभीर समस्याओं पर ध्यान केंद्रित किया, जो जनजातीय समाज में आज भी व्याप्त है। उन्होंने स्वास्थ्य कर्मियों से आग्रह किया कि वे सरकार के प्रयासों को जन-जन तक पहुँचाकर ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं का विस्तार करें।
चिकित्सा क्षेत्र में मानवीय सेवा का महत्व
राज्यपाल रमेन डेका ने कहा कि चिकित्सा शिक्षा और प्रशिक्षण विद्यार्थियों के त्याग और समर्पण का प्रतीक हैं। उन्होंने विद्यार्थियों को मानव सेवा के प्रति समर्पित होने और समाज के कल्याण में योगदान करने की सलाह दी, साथ ही कहा कि चिकित्सा का क्षेत्र नई चुनौतियाँ और नवाचार के अवसर प्रस्तुत करता है।
मुख्यमंत्री का संदेश: स्वास्थ्य शिक्षा और पारंपरिक चिकित्सा का महत्व
मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों की बढ़ती लोकप्रियता पर खुशी जाहिर की। उन्होंने पंडित दीनदयाल उपाध्याय के अंत्योदय सिद्धांत का उल्लेख करते हुए, स्वास्थ्य सेवा को समाज के अंतिम व्यक्ति तक पहुँचाने का संकल्प दोहराया।
इन बिंदुओं के माध्यम से राष्ट्रपति और अन्य विशिष्ट अतिथियों ने दीक्षांत समारोह में देश के स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में नए चिकित्सकों और अन्य पेशेवरों की भूमिका की सराहना की और राष्ट्र निर्माण के प्रति उनकी जिम्मेदारी पर बल दिया।