धर्म: 8 अप्रैल सोमवार को है चैत्र माह में पड़ने वाली सोमवती अमावस्या

नयी दिल्ली : अप्रैल की अमावस्या 8 अप्रैल सोमवार को है। चैत्र माह में पड़ने वाली अमावस्या महत्वपूर्ण मानी जाती है और अगर यह सोमवार और शनिवार को पड़े तो इसका महत्व कई गुना बढ़ जाता है। इस कारण इसे सोमवती अमावस्या के नाम से जाना जाता है। इस दिन देवों के देव महादेव और मां पार्वती की विशेष पूजा और व्रत करने का विधान है। इसके साथ ही पितरों का तर्पण भी किया जाता है। पुजारी व ज्योतिषाचार्य पंडित अरुण त्रिपाठी ने कहा कि शास्त्रों के अनुसार, सोमवती अमावस्या स्नान-दान करने से पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है। इस दिन भगवान शिव के साथ मां पार्वती की उपासना से साधक को सुख-शांति मिलती है। व्रती को अखंड सौभाग्य, खुशहाली और पितरों का आशीर्वाद मिलता है। उन्होंने कहा कि सनातन धर्म में अमावस्या का बहुत महत्व है। यह दिन पितरों की पूजा और तर्पण को समर्पित है।
अमावस्या का मुहूर्त
चैत्र माह कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि का प्रारंभ 8 अप्रैल को सुबह 3 बजकर 21 मिनट से होगा और इस तिथि का समापन रात को 11 बजकर 50 मिनट पर होगा। ऐसे में सोमवती अमावस्या 8 अप्रैल को मनाई जाएगी।
अमावस्या धन-लाभ उपाय
ज्योतिष शास्त्र में इस दिन को लेकर कई नियम हैं, जिनका पालन आवश्यक है। इस दिन भगवान शिव का महामृत्युंजय मंत्र जाप करना चाहिए। साथ ही भगवान शिव के अभिषेक से विशेष लाभ मिलती है। ऐसा करने से आर्थिक तंगी दूर होती है और धन आगमन के मार्ग खुलते हैं। पीपल वृक्ष की 108 परिक्रमा करें। पीपल वृक्ष में फेरी देने से अनंत फल मिलता है। इस पर ब्रह्मा विष्णु और शिव वास करते हैं।
अमावस्या का महत्व
पुजारी पुरेंद्र उपाध्याय ने कहा कि अमावस्या के दिन गंगा या अन्य किसी पवित्र नदी अथवा जलकुंड में स्नान करना फलदाई है। अमावस्या को पूजा करने से पितृ होते हैं। चैत्र अमावस्या विक्रम संवत वर्ष का अंतिम दिन होता है। विक्रम संवत को आम भाषा में हिन्दू वर्ष के नाम से भी जाना जाता है। इसके बाद चैत्र शुक्ल प्रतिपदा तिथि आती है, जो संवत का पहला दिन होता है। कहते हैं चैत्र शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि के दिन ही ब्रह्मा जी ने सृष्टि की रचना की थी। नवरात्र भी हिन्दू नववर्ष की पहली तिथि से प्रारंभ होता है।