🔥 Protest Against KTMPL & SAIL Over Forced Land Acquisition in Asanbani Turns Aggressive

📌 प्रस्तावना
Forced Land Acquisition Protest | 18 जुलाई 2025 को आसनबनी में विस्थापन, विस्थापित संघर्ष मुक्ति मंच, झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) और अन्य संगठनों की संयुक्त अगुवाई में आक्रोश सभा का आयोजन किया गया। सभा का मुख्य मुद्दा सेल और उसकी ठेका कंपनी KTMPL द्वारा जबरन भूमि अधिग्रहण और किसानों व महिलाओं पर की गई बर्बरता थी। इस जनसभा में सैकड़ों ग्रामीण, किसान, महिलाएं और राजनेता जुटे, जिन्होंने मिलकर प्रशासन व कंपनी के खिलाफ एक सुर में आवाज बुलंद की।
💢 विधायक मथुरा महतो ने चेताया – चक्का जाम होगा
झामुमो विधायक मथुरा प्रसाद महतो ने सभा को संबोधित करते हुए कहा कि “सेल लाठी के बल पर जमीन नहीं ले सकती। यदि रैयतों को पीटने वाले सेल के गुंडों पर कार्रवाई नहीं हुई, तो कंपनी का चक्का जाम किया जाएगा।” उन्होंने स्पष्ट किया कि अब कोई भी जबरन अधिग्रहण को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
🚜 महिलाओं और किसानों पर बर्बर हमला, गूंजे नारे
सभा में आरोप लगाया गया कि KTMPL कंपनी और प्रशासन ने जबरन भूमि अधिग्रहण के विरोध में उपस्थित महिलाओं और किसानों को घसीट-घसीट कर पीटा। इसके विरोध में “जबरन अधिग्रहण नहीं चलेगा, दोषी अधिकारियों को गिरफ्तार करो, जान देंगे, जमीन नहीं” जैसे नारों से सभा स्थल गूंज उठा।
🌾 किसानों ने ली प्रतिज्ञा – एक इंच जमीन नहीं देंगे
झारखंड किसान सभा के राज्य अध्यक्ष सुफल महतो ने कहा कि कंपनी की इस बर्बरता ने अंग्रेजों के जुल्म की याद दिला दी। उन्होंने कहा कि 2013 के भूमि अधिग्रहण कानून के तहत आवश्यक 80% रैयतों की सहमति और उचित मुआवजे की प्रक्रिया का उल्लंघन हुआ है। किसानों ने एक स्वर में कहा कि वे अपनी एक इंच जमीन भी कंपनी को नहीं देंगे।
🧑🌾 विपक्ष और किसान संगठनों की एकजुटता
सभा को संबोधित करने वालों में शामिल थे –
- माले विधायक चन्द्रदेव महतो
- माकपा के नेता एस.के. घोष, सुंदरलाल महतो, संतोष महतो
- झामुमो उपाध्यक्ष रामू मंडल
- किसान नेता परशुराम महतो, योगेन्द्र महतो, सूर्य कुमार सिंह
- महिला प्रतिनिधि उपासी महताईन, सबिता देवी, रानी मिश्रा
- विस्थापित मोर्चा के अध्यक्ष अमृत महंतों
- कांग्रेस नेत्री अनुपमा सिंह, जिन्होंने आश्वासन दिया कि विधानसभा में ये मुद्दा गठबंधन के विधायक उठाएंगे।
🛑 निष्कर्ष
Forced Land Acquisition Protest के जरिए झारखंड की धरती पर एक बार फिर किसानों और आम जनता ने यह साबित किया कि उनकी जमीन और हक के खिलाफ कोई भी सत्ता या कंपनी अधिक दिन तक टिक नहीं सकती। यह आंदोलन केवल जमीन का नहीं, बल्कि सम्मान, अधिकार और संविधान के खिलाफ हो रहे उल्लंघन के विरुद्ध आवाज है। यदि प्रशासन और कंपनी ने संवेदनशीलता नहीं दिखाई, तो यह आंदोलन और तेज होगा।
