Ganga Gaushala Katras-Karkend || हंसी-ठहाकों से सराबोर हुआ गंगा गौशाला का माहौल
Ganga Gaushala Katras-Karkend || श्री गंगा गौशाला, कतरास करकेन्द में गोपाष्टमी मेले के अवसर पर शनिवार रात को भव्य कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम की अध्यक्षता डॉ. बीएन चौधरी ने की।
शारदीय रात्रि में सरस्वती वंदना से हुआ शुभारंभ
कार्यक्रम की शुरुआत कवयित्री भुवन मोहिनी ने सरस्वती वंदना से की। अपने शायराना अंदाज में उन्होंने कहा:
“ऊपर था महुआ नीचे कुआं,
पानी पीके ये क्या हुआ?
ये पानी इश्क का, या फिर है रिस्क का,
दिल का फॉर्मेट हार्ड डिस्क का।”
उनकी दिलचस्प पंक्तियों ने श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया।
कवियों ने बांधा समां, दर्शकों ने जमकर बजाई तालियां
इंदौर से आए कवि अतुल ज्वाला ने अपने ओजस्वी शब्दों से माहौल को देशभक्ति के रंग में रंग दिया। उन्होंने कहा:
“भगवान ने धरती पर उतारी है अयोध्या,
सूरज के वंशजों ने सवारी है अयोध्या।
बाबर के बाप-दादा की जागीर नहीं है,
सदियों से हमारी थी, हमारी है अयोध्या।”
उनकी इन पंक्तियों पर दर्शकों ने तालियों की गूंज से उनका स्वागत किया।
कार्यक्रम का संचालन कर रहे कवि पंडित अशोक नागर ने अपनी पंक्तियों से दर्शकों को भाव-विभोर कर दिया:
“प्रश्न लाखों मगर एक उत्तर न था,
जिसने अवसर दिये, उसको अवसर न था।
घर सभी को दिये, घर से बाहर था वो,
राम के गांव में राम का घर न था।”
मुंबई से आए कवि सुनील व्यास ने सामाजिक ताने-बाने को छूते हुए कहा:
“गांव में रहेगा तो पिता के नाम से जाना जाएगा,
शहर में रहेगा तो मकान नंबर से पहचाना जाएगा।”
दिल्ली और इंदौर के कवियों ने भरी मंच पर रचनात्मक ऊर्जा
दिल्ली से आए अरुण जैमनी ने अपनी रचना “आंखों में पानी, दादी की कहानी” से दर्शकों के दिलों को छू लिया। वहीं, कवयित्री भुवन मोहिनी ने प्रेम और भक्ति का संगम प्रस्तुत करते हुए कहा:
“एक अधूरी कहानी तो मुझ में भी है,
धड़कते दिल का अरमान मुझ में भी है।
तू जो छू ले शिवाला बानो प्रेम का,
एक मीरा दीवानी तो मुझ में भी है।”
उनकी इस रचना पर श्रोताओं ने जमकर तालियां बजाईं।
रातभर कविताओं में डूबा गौशाला का परिसर
पूरी रात गौशाला का वातावरण कविताओं और शायरियों की गूंज से सराबोर रहा। एक से बढ़कर एक कविताओं ने श्रोताओं को बांधे रखा और सभी कवि श्रोताओं के दिलों में अपनी छाप छोड़ने में कामयाब रहे।
विशिष्ट अतिथियों की उपस्थिति
मौके पर गौशाला के अध्यक्ष सुरेंद्र अग्रवाल, महासचिव महेश अग्रवाल, सचिव दीपक अग्रवाल, कोषाध्यक्ष डीएन चौधरी, विष्णु चौरसिया, राजेश सिंघल, राजन खंडेलवाल, सुमित खंडेलवाल, उदय वर्मा, डॉ. स्वतंत्र कुमार, डॉ. मधुमाला, राजकुमार ताटिया, अनीश डोकानिया, कमलेश सिंह, दिलीप कुमार अग्रवाल सहित बड़ी संख्या में गणमान्य व्यक्ति और श्रोता उपस्थित थे।
यह कवि सम्मेलन न केवल साहित्यिक अभिरुचि को बढ़ावा देने वाला रहा, बल्कि यह दर्शकों के दिलों में हंसी और भावनाओं की अमिट छाप छोड़ने में भी सफल रहा।