Coal Mafia Network: सीआईएसएफ और पुलिस की खामोशी पर उठे सवाल, पर्यावरण और सुरक्षा पर संकट
महुदा के जंगलों में कोयले का अवैध कारोबार चरम पर
Illegal Coal Business in Mahuda – धनबाद के महुदा क्षेत्र अंतर्गत हाथूडीह और कुलटांड इलाकों में कोयले का अवैध कारोबार धड़ल्ले से जारी है। हैरानी की बात यह है कि इस गोरखधंधे की जानकारी प्रशासन, बीसीसीएल प्रबंधन, पुलिस, सीआईएसएफ और जिला खनन विभाग को वर्षों से है, लेकिन आज तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई। इस लापरवाही ने प्रशासन की कार्यशैली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
हांका, तिवारी और घोष की तिकड़ी कर रही कारोबार का संचालन
सूत्रों के अनुसार इस अवैध कारोबार के पीछे हांका, तिवारी और घोष की जुगल जोड़ी का हाथ है, जो राजनीतिक संरक्षण के चलते पूरी व्यवस्था को ठेंगा दिखाते हुए यह कारोबार चला रही है। इन माफियाओं ने जंगलों को बेतरतीब काटकर न सिर्फ पर्यावरणीय असंतुलन पैदा किया है, बल्कि स्थानीय लोगों की सुरक्षा को भी खतरे में डाल दिया है।
जिम्मेदार विभागों की चुप्पी से जनता में आक्रोश
स्थानीय नागरिकों का कहना है कि कोयले की यह लूट कोई नई बात नहीं है, लेकिन प्रशासनिक इकाइयों की वर्षों से जारी चुप्पी बेहद चिंता का विषय है। बीसीसीएल, सीआईएसएफ और खनन विभाग की निष्क्रियता ने इस अवैध कारोबार को और भी बढ़ावा दिया है। इससे न केवल सरकारी राजस्व को नुकसान हो रहा है, बल्कि क्षेत्र में अपराध और असंतोष भी पनप रहा है।
जनता ने उठाई आवाज, सरकार की भूमिका पर उठे सवाल
इस अवैध गतिविधि से परेशान होकर अब स्थानीय लोग खुलकर प्रशासनिक उदासीनता के खिलाफ आवाज उठा रहे हैं। उनका सवाल है कि जब राज्य की बहुमूल्य खनिज संपदा की खुलेआम लूट हो रही है, तब हेमंत सरकार कब जागेगी? क्या सिस्टम की चुप्पी और जनता की चिंता का टकराव किसी बड़े आंदोलन को जन्म देगा?
निष्कर्ष
महुदा क्षेत्र में चल रहे अवैध कोयला कारोबार ने न केवल प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े किए हैं, बल्कि यह दर्शाता है कि प्रभावशाली तंत्र के सामने नियम-कानून कैसे बौने साबित हो रहे हैं। अब समय आ गया है कि राज्य सरकार इस मुद्दे पर सख्त कदम उठाए और कोयला माफिया के खिलाफ ठोस कार्रवाई सुनिश्चित करे, ताकि पर्यावरण और आम जनता दोनों की सुरक्षा बहाल हो सके।