International Women’s Day || कठिनाइयों से भरा रास्ता कभी असफलता का कारण नहीं बनता, जब तक लक्ष्य के प्रति एकाग्रता और संकल्प की दृढ़ता बनी रहती है। ऐसे संघर्षों से गुजरने वाले लोग न सिर्फ सफलता हासिल करते हैं, बल्कि दूसरों के लिए प्रेरणा भी बनते हैं। इसी तरह, झारखंड के बलियापुर प्रखंड की सिंदूरपुर पंचायत की कुछ महिलाएं अपनी मेहनत और आत्मनिर्भरता से एक मिसाल कायम कर रही हैं।
दीदी केक एंड बेकरी: आत्मनिर्भरता की नई पहचान
सिंदूरपुर पंचायत की अष्टमी देवी, अनिता कुमारी और रेणुका मल्लिक ने एक साल पहले “दीदी केक एंड बेकरी” की शुरुआत की थी। यह बेकरी पंचायत भवन में संचालित होती है, जिसे सरकारी योजना के तहत सहायता मिली है। सरकार द्वारा दी गई मशीनों और फ्रिज के सहयोग से वे केक और पेस्ट्री बनाती हैं।
इन महिलाओं को बेकरी संचालन का प्रशिक्षण भी दिया गया, जिससे वे आज सफलतापूर्वक अपना व्यवसाय चला रही हैं। रोजाना करीब 1,000 रुपये की कमाई होने के साथ, यह बेकरी प्रति माह 25,000 से 30,000 रुपये तक का मुनाफा कमा रही है। उनकी बनाई गई पेस्ट्री ₹5 प्रति पीस और केक ₹220 में रीटेल में तथा होलसेल में ₹120-150 में बिकता है। यह व्यवसाय महिलाओं की आर्थिक सशक्तिकरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
बबीता कुमारी की हेचरी यूनिट: आत्मनिर्भरता का एक और उदाहरण
मोहनपुर की बबीता कुमारी भी आत्मनिर्भरता की मिसाल बनी हैं। उन्होंने रुरबन मिशन योजना के तहत हेचरी यूनिट स्थापित की है, जहां वे 200 से अधिक मुर्गियों का पालन-पोषण कर रही हैं। सरकार से मिली ट्रेनिंग और मशीन के सहयोग से वे अंडों से चूजे निकालती हैं और महीने में 10,000 से 15,000 रुपये तक की कमाई करती हैं। इसके साथ ही, वे खेती भी करती हैं, जिससे उनकी आमदनी में और वृद्धि होती है।
महिला स्वावलंबन को मिल रहा सरकारी सहयोग
झारखंड राज्य आजीविका संवर्धन सोसाइटी (JSLPS) के माध्यम से दीदी समूह की महिलाओं को आर्थिक सहायता और कम ब्याज दर पर ऋण उपलब्ध कराया जाता है। समूह में शामिल होने के 9-10 महीने के भीतर महिलाओं को लोन भी मिलता है, जिससे वे अपना व्यवसाय शुरू कर पाती हैं। व्यक्तिगत लोन के लिए भी ब्याज में छूट दी जाती है, जिससे महिलाएं आत्मनिर्भर बन रही हैं।
निष्कर्ष
बलियापुर प्रखंड की ये महिलाएं न केवल अपने परिवार का भरण-पोषण कर रही हैं, बल्कि अन्य महिलाओं को भी प्रेरित कर रही हैं। दीदी केक एंड बेकरी और हेचरी यूनिट जैसी पहल बताती हैं कि आत्मनिर्भरता की राह कठिन जरूर है, लेकिन अगर संकल्प दृढ़ हो तो कोई भी बाधा सफलता की राह में रुकावट नहीं बन सकती।