Jharkhand Mukti Morcha: आदिवासियों, पिछड़ों और वंचित वर्गों के अधिकारों की रक्षा करने व अलग झारखंड राज्य की मांग को बल देने के लिए की गई थी इसकी स्थापना
Jharkhand Mukti Morcha: झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) भारत के झारखंड राज्य का एक प्रमुख राजनीतिक दल है, जिसकी स्थापना झारखंड के आदिवासियों, पिछड़ों और वंचित वर्गों के अधिकारों की रक्षा करने और एक अलग झारखंड राज्य की मांग को बल देने के लिए की गई थी। झारखंड मुक्ति मोर्चा स्थापना दिवस हर वर्ष बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है, जो झारखंडी अस्मिता, संघर्ष और सफलता का प्रतीक है।
झारखंड मुक्ति मोर्चा की स्थापना
झारखंड मुक्ति मोर्चा की स्थापना 4 फरवरी 1972 को शिबू सोरेन के नेतृत्व में हुई थी। यह पार्टी झारखंड क्षेत्र के आदिवासियों और मूलवासियों के अधिकारों की रक्षा और उनकी सांस्कृतिक पहचान को बनाए रखने के उद्देश्य से बनी थी। इसके गठन से पहले झारखंड अलग राज्य की मांग को लेकर कई संघर्ष हुए थे, लेकिन झामुमो ने इस आंदोलन को नई दिशा दी।
झामुमो का उद्देश्य और संघर्ष
झारखंड मुक्ति मोर्चा का मुख्य उद्देश्य झारखंड के आदिवासियों, दलितों, पिछड़ों और वंचितों को उनका हक दिलाना था। इसके प्रमुख उद्देश्यों में शामिल हैं:
- झारखंड को एक अलग राज्य का दर्जा दिलाना।
- आदिवासी समुदाय के जल, जंगल और जमीन के अधिकारों की रक्षा करना।
- सामाजिक और आर्थिक विकास को बढ़ावा देना।
- शिक्षा, रोजगार और स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाना।
झामुमो ने अपने संघर्ष से झारखंड को अलग राज्य बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और 15 नवंबर 2000 को झारखंड एक स्वतंत्र राज्य बना।
स्थापना दिवस का महत्व
झारखंड मुक्ति मोर्चा स्थापना दिवस न केवल एक राजनीतिक पार्टी के जन्म का दिन है, बल्कि यह झारखंड के संघर्षशील इतिहास को याद करने का भी अवसर है। इस दिन पार्टी कार्यकर्ता और समर्थक विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन करते हैं, जिनमें रैलियां, संगोष्ठियाँ, सांस्कृतिक कार्यक्रम और आदिवासी परंपराओं का प्रदर्शन शामिल होता है। यह दिन झारखंड के लोगों को एकता, संघर्ष और विकास के लिए प्रेरित करता है।
निष्कर्ष
झारखंड मुक्ति मोर्चा ने झारखंड राज्य के निर्माण और आदिवासियों के हक के लिए लंबा संघर्ष किया है। इस पार्टी का योगदान झारखंड की राजनीति और सामाजिक व्यवस्था में अत्यंत महत्वपूर्ण रहा है। स्थापना दिवस के अवसर पर झारखंड के लोग झामुमो के संघर्ष और बलिदानों को याद करते हैं और राज्य के विकास में अपनी भागीदारी सुनिश्चित करने का संकल्प लेते हैं।