Jati Janganna Decision: सामाजिक न्याय की दिशा में निर्णायक कदम, 2025 से शुरू होगी प्रक्रिया
Jati Janganna Decision: Jati Janganna Decision by Modi Government के तहत केंद्र सरकार ने एक बड़ा और ऐतिहासिक निर्णय लिया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में बुधवार को हुई केंद्रीय कैबिनेट बैठक में यह फैसला लिया गया कि आगामी जनगणना में जातिगत आंकड़े भी शामिल किए जाएंगे। इससे यह गणना अधिक पारदर्शी और संगठित होगी तथा नीति निर्धारण के लिए एक सटीक आधार प्रदान करेगी।
2025 से शुरू होगी प्रक्रिया, 2026-27 तक आ सकते हैं नतीजे
केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने जानकारी दी कि जनगणना की प्रक्रिया सितंबर 2025 से शुरू की जा सकती है, और इसमें करीब एक वर्ष का समय लगेगा। आंकड़ों की अंतिम रिपोर्ट 2026 के अंत या 2027 की शुरुआत में जारी की जा सकती है। उन्होंने बताया कि यह जाति आधारित गणना, सामान्य जनगणना प्रक्रिया का हिस्सा होगी और संविधान के अनुसार इसे केंद्र सरकार ही संचालित करेगी।
कांग्रेस पर हमला, विपक्ष के पुराने रुख पर उठाए सवाल
प्रेसवार्ता में अश्विनी वैष्णव ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि 1947 से अब तक उसकी सरकारों ने जाति जनगणना का विरोध किया। उन्होंने याद दिलाया कि 2010 में भी ऐसी मांग उठी थी, लेकिन तत्कालीन मनमोहन सरकार ने इसे अमल में नहीं लाया। इसके उलट अब मोदी सरकार ने इस पर स्पष्ट और निर्णायक पहल की है।
भाजपा का बदला रुख, बिहार से मिली प्रेरणा
जहां पहले भाजपा जातिगत जनगणना को आरक्षण और सामाजिक विभाजन का मुद्दा मानती रही थी, अब पार्टी ने अपने रुख में बदलाव कर लिया है। बिहार, जो 2023 में जातिगत आंकड़े जारी करने वाला पहला राज्य बना, से भाजपा को स्पष्ट सामाजिक संदेश मिला है। अब यह फैसला राष्ट्रीय स्तर पर लागू होने जा रहा है।
लंबे समय से मांग कर रहे थे विपक्षी दल
कांग्रेस, राजद, सपा, बसपा, एनसीपी जैसे विपक्षी दल लंबे समय से जातिगत जनगणना की मांग करते रहे हैं। राहुल गांधी ने भी अपने अमेरिका दौरे में इसे सामाजिक न्याय का मूल आधार बताया था। अब जबकि यह प्रक्रिया केंद्रीय स्तर पर शुरू हो रही है, तो राजनीतिक संतुलन और सामाजिक नीति दोनों पर इसका असर पड़ना तय है।
निष्कर्ष
Jati Janganna Decision by Modi Government भारत की सामाजिक संरचना को समझने और नीति निर्धारण, आरक्षण व्यवस्था और कल्याणकारी योजनाओं में सुधार की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम है। यह निर्णय न केवल सामाजिक न्याय की अवधारणा को मजबूती देगा, बल्कि वर्षों से चली आ रही एक मांग को भी केंद्र स्तर पर मान्यता देगा। अब सभी की नजरें इस पर टिकी हैं कि यह जनगणना किस प्रकार भारत के सामाजिक और राजनीतिक परिदृश्य को आकार देगी।