JHARIA | अग्रोहा नरेश अग्रसेन जी महाराज की 5148 वीं जयंती मानयी गयी

JHARIA | अग्रोहा नरेश महाराजा अग्रसेन की जयंती झरिया कोयला अंचल में धूमधाम से आश्विन शुक्ल पक्ष प्रतिपदा तिथि को मनाई गई। मुख्य कार्यक्रम झरिया स्थित अग्रसेन भवन में हुई जहां महाराजा अग्रसेन की प्रतिमा स्थापित है।मारवाड़ी सम्मेलन झरिया के अध्यक्ष राजकुमार अग्रवाल ने विधि-विधान पूर्वक महाराजा अग्रसेन की पूजा अर्चना की। तत्पश्चात मौजूद सदस्यों ने पुष्पांजलि अर्पित किया। वही अपने सम्बोधन में राजकुमार अग्रवाल ने कहा की महाराजा अग्रसेन को समाजवाद का अग्रदूत कहा जाता है। अपने क्षेत्र में सच्चे समाजवाद की स्थापना हेतु उन्होंने नियम बनाया था, कि उनके नगर में बाहर से आकर बसने वाले प्रत्येक परिवार की सहायता के लिए नगर का प्रत्येक परिवार उसे एक सिक्का व एक ईंट देगा। जिससे आने वाला परिवार स्वयं के लिए मकान व व्यापार का प्रबंध कर सके।महाराजा अग्रसेन ने शासन प्रणाली में एक नई व्यवस्था को जन्म दिया था। उन्होंने वैदिक सनातन आर्य सस्कृंति की मूल मान्यताओं को लागू कर राज्य में कृषि-व्यापार, उद्योग, गौपालन के विकास के साथ-साथ नैतिक मूल्यों की स्थापना की थी।महाराजा अग्रसेन एक सूर्यवंशी क्षत्रिय राजा थे। जिन्होंने प्रजा की भलाई के लिए वणिक धर्म अपना लिया था। महाराज अग्रसेन ने नाग लोक के राजा कुमद के यहां आयोजित स्वंयवर में राजकुमारी माधवी का वरण किया। इस विवाह से नाग एवं आर्य कुल का नया गठबंधन हुआ। महाराजा अग्रसेन समाजवाद के प्रर्वतक, युग पुरुष, राम राज्य के समर्थक एवं महादानी थे। माता लक्ष्मी की कृपा से श्री अग्रसेन के 18 पुत्र हुए। राजकुमार विभु उनमें सबसे बड़े थे। महर्षि गर्ग ने महाराजा अग्रसेन को 18 पुत्र के साथ 18 यज्ञ करने का संकल्प करवाया।
माना जाता है कि यज्ञों में बैठे 18 गुरुओं के नाम पर ही अग्रवंश की स्थापना हुई। ऋषियों द्वारा प्रदत्त अठारह गोत्रों को महाराजा अग्रसेन के 18 पुत्रों के साथ उनके द्वारा बसाई 18 बस्तियों के निवासियों ने भी धारण कर लिया।एक बस्ती के साथ प्रेम भाव बनाए रखने के लिए एक सर्वसम्मत निर्णय हुआ कि अपने पुत्र और पुत्री का विवाह अपनी बस्ती में नहीं दूसरी बस्ती में करेंगे। आगे चलकर यह व्यवस्था गोत्रों में बदल गई जो आज भी अग्रवाल समाज में प्रचलित है।
अपने संबोधन में मारवाड़ी सम्मेलन ट्रस्ट के सचिव दीपक अग्रवाल ने कहा कि महाराजा अग्रसेन महामानव थे उनके राज्य में सामाजिक समरसता अद्भुत समन्वय था। आज से लगभग 5000 वर्ष पूर्व में जिस समाजवाद की परिकल्पना महाराजा अग्रसेन ने की थी। संयुक्त सचिव प्रमोद जालुका जी ने कहा की आज उसे आधारभूत जामा पहनाया जाए तो संपूर्ण विश्व में गरीबी नाम की चीज नहीं रहेगी। महाराजा अग्रसेन ने उन दिनों राज्य में आने वाले प्रत्येक व्यक्ति के लिए एक ईंट तथा एक रूपए घर घर से दिलाने की व्यवस्था की थी, ताकि वह व्यक्ति समाज में अपने पैरों पर खड़ा हो सके। आज महाराजा अग्रसेन के आदर्शों को अपनाने की जरूरत है। कार्यक्रम में मारवाड़ी समाज के लोग मौजूद थे।

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