DHANBAD | झरिया के उपर कुली, बालू बैंकर में सूफी मुजफ्फर आलम उर्फ गुल गुल्ला बाबा का सालाना उर्स मनाया गया.इस अवसर पर बाबा के उर्स मुबारक में चादरपोशी के लिए बिहार,झारखंड,बंगाल,असम,उत्तर प्रदेश,मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र से भी सैकड़ों लोग पहुंचे.मौके पर सूफी नौहोदा मुजफ्फर ने बताया कि बाबा का दो दिवसीय उर्स 26-27अक्टूबर को पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के तहत मनाया जा रहा है.उन्होने बताया कि गुल गुल्ला बाबा के सैकड़ो की संख्या में चाहने वाले चादर पोशी के बाद लंगर में लगभग 2000 लोग शामिल हुए. नौहोदा मुजफ्फर ने बताया कि बाबा ने अपने जीवन काल में लोगों की भलाई का ही काम किया इसलिए आज तक उनके चाहने वालों का उर्स में तांता लगा हुआ है. उनकी दुआ में इतनी शक्ति थी कि रोगियों का रोग,बिगड़ते काम और अन्य परेशानियां जल्द ही समाप्त हो जाती थीं.उन्होने बताया कि बाबा ने जरूरतमंद लड़कियों की शादी में हमेशा बढ़-चढ़ कर मदद की.नौहोदा ने बताया कि बाबा लोगों का चेहरा देखकर समस्याओं को पढ़ लेते थे और समाधान कर देते थे.
छह महीने पहले ही बताया था कब करेंगे पर्दा
गुल गुल्ला बाबा के मुरीद जमील अख्तर बताते हैं कि बाबा को विचित्र शक्ति प्राप्त थी इसलिए उन्होंने अपने पर्दा (अंतिम समय)की तारीख और समय हमलोगों को पहले से ही बता रखा था.जमील बताते हैं कि वे जीवन भर ज़रूरतमंदों और पीड़ितों की सेवा करते रहे लेकिन बदले में किसी से कुछ नहीं लिया.वे बताते हैं कि आज भी उनके मजार पर माथा टेकने वालों की मुरादें पूरी होती हैं.
कैसे नाम पड़ा गुल गुल्ला बाबा?
बाबा को कई वर्षों से जानने वाले लोग कहते हैं कि बाबा अपने जीविकोपार्जन के लिए ऊपर कुली चौक में जलेबी,कचौड़ी,आलू चाप और गुल गुल्ला (एक तरह की मिठाई)बेचा करते थे.यह दुकान आज भी उनके बेटे नौहोदा मुजफ्फर चलाते हैं. जब लोग उन्हें जान गए कि बाबा को दिव्य शक्तियां प्राप्त हैं जिससे वे लोगों की मुसीबत में काम आते हैं तब उनके पास आने वाले लोग उन्हें गुल गुल्ला बाबा के नाम से ही पुकारने लगे.
गुलगुला बाबा के तीन बेटे हैं मोहम्मद जावेद,मोहम्मद आबिद और मोहम्मद नाहोदा मुजफ्फर.बाबा तीनों बेटों को गरीबों की सेवा के लिए प्रेरणा देकर चले गए.आज भी उनके आदर्शों पर तीनों बेटे चलते हैं जो सेवा कल बाबा ने शुरू की थी वह सेवा आज भी इनके द्वारा किया जाता है.गुलगुल्ला बाबा अपने बच्चों को अच्छी तालीम दिए.