Jharia News: सुहागिन महिलाओं द्वारा गणगौर माता की पूजा धूमधाम से संपन्न हुई। झरिया के लक्ष्मीनिया मोड़ स्थित राणी सती मंदिर में मंगलवार को सुबह गणगौर माता की विधिवत पूजा-अर्चना की गई। वहीं, दोपहर में दादी जी का सिंधारा उत्सव हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। इस मौके पर झारखंड में पहली बार ईसर गणगौर माता की भव्य शोभायात्रा निकाली गई।
ईसर गणगौर माता की पालकी के साथ नगर भ्रमण
शोभायात्रा में गणगौर माता की सजी-धजी पालकी को नगर भ्रमण कराया गया। यह शोभायात्रा राणी सती मंदिर से निकलकर सब्जी पट्टी, बाटा मोड़, चार नंबर, धर्मशाला रोड होते हुए चिल्ड्रेन पार्क लाल बाजार से आनंद भवन तक पहुंची। शोभायात्रा के समापन पर गणगौर माता का तालाब में पारंपरिक विधियों के साथ विसर्जन किया गया।
महिलाओं ने भजन-कीर्तन से बांधा समा
इस अवसर पर सुहागिन महिलाओं ने पारंपरिक गणगौर भजन गाकर माहौल को भक्तिमय बना दिया। उनके द्वारा “गौर ए गणगौर माता खोल किवाड़ी, बाहर उबी थारी पूजन वाली…” और “चालो है सखियों आपा हेमा चल चिंगारो राज…” जैसे भजनों का गायन किया गया, जिससे पूरे क्षेत्र में आध्यात्मिक और सांस्कृतिक माहौल बन गया।
शोभायात्रा को सफल बनाने में सक्रिय रहे ये लोग
शोभायात्रा और पूजन कार्यक्रम को सफल बनाने में राणी सती महिला समिति और कई समाजसेवियों की महत्वपूर्ण भूमिका रही। इनमें द्वारका प्रसाद गोयनका, अरुण झुनझुनवाला, छेदीलाल तुलस्यान, प्रकाश झुनझुनवाला, सत्यनारायण भोजगढ़िया, अनिल खेमका, नरेश अग्रवाल, संदीप सांवरिया, आलोक अग्रवाल, अनिल चौधरी, संजय झुनझुनवाला, बृजमोहन अग्रवाल का विशेष योगदान रहा।
वहीं, राणी सती महिला समिति की सदस्याओं में मीनू चौधरी, सरिता जालूका, सुनीता अग्रवाल, सुजाता खेमका, सरोज शर्मा, आशा खेमका, ममता तुलस्यान, सुमन अग्रवाल, संतोष गोयनका, कुसुम झुनझुनवाला, शोभा अग्रवाल आदि महिलाएं सक्रिय रहीं।
गणगौर पूजा का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व
गणगौर पर्व सौभाग्य, समृद्धि और सुख-शांति का प्रतीक है। इस पर्व पर सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि के लिए गणगौर माता की पूजा करती हैं, जबकि कुंवारी कन्याएं अच्छे वर की प्राप्ति की कामना करती हैं। झरिया में इस पारंपरिक उत्सव को बड़े श्रद्धा भाव और भव्यता के साथ मनाया गया।