Sindri News: संयुक्त संघर्ष मोर्चा, सिंदरी के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल ने एफसीआई प्रबंधन से मुलाकात कर कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर गंभीर वार्ता की। इस बैठक में डोमगढ़ विस्थापन, पीपी एक्ट, दुकानों का पुनर्वास, झोपड़ियों में रहने वालों की समस्या, क्वार्टर आवंटन में अनियमितता और विस्थापित प्रमाणपत्र जैसे कई महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा हुई।
बैठक में उठे प्रमुख मुद्दे और प्रबंधन की प्रतिक्रिया
1. डोमगढ़ विस्थापन मामला
प्रबंधन ने स्पष्ट किया कि डोमगढ़ की समस्या केंद्र सरकार के अधीन है, और सिंदरी प्रबंधन केवल सरकार के आदेशों का पालन कर रही है। स्थानीय सांसद ने उर्वरक एवं रसायन मंत्री से इस मुद्दे को उठाने की पहल की है।
2. पीपी एक्ट पर प्रबंधन का रुख
पीपी एक्ट को लेकर प्रबंधन ने कहा कि यह तब तक नहीं रुकेगा जब तक सरकार से कोई आधिकारिक आदेश प्राप्त नहीं होता।
3. रोड किनारे की दुकानों का पुनर्वास
प्रबंधन ने कहा कि सड़क किनारे स्थित दुकानों को हटाने से पहले उनका पुनर्वास करने पर विचार किया जा रहा है।
4. झोपड़ियों में रहने वालों की समस्या
संयुक्त मोर्चा ने मांग की कि झोपड़ियों में रहने वाले लोगों को हटाने से पहले उनके पुनर्वास की व्यवस्था की जाए।
5. क्वार्टर आवंटन में अनियमितता
- पीडीआईएल क्वार्टर का किराया 31 मार्च 2019 से लागू किया जाएगा।
- बीसीसीएल क्वार्टर का किराया 2009 से लागू होगा।
- 2002 से जो भी किराया लिया गया है, उसे वापस किया जा सकता है।
6. विस्थापित प्रमाणपत्र जारी करने की प्रक्रिया
प्रबंधन ने बताया कि एनओसी पहले ही सीओ कार्यालय को भेजा जा चुका है, और वहीं से विस्थापित प्रमाणपत्र जारी किया जाएगा।
7. क्वार्टर के किराए के लिए नया फॉर्मूला
प्रबंधन ने बताया कि क्वार्टर के किराए की नई दरों पर चर्चा जारी है।
8. विशेष कार्य पदाधिकारी से वार्ता
संयुक्त संघर्ष मोर्चा ने विशेष कार्य पदाधिकारी (ओएसडी) को सिंदरी बुलाकर बातचीत कराने की मांग की। प्रबंधन ने जल्द ही बैठक आयोजित करने का आश्वासन दिया।
संयुक्त संघर्ष मोर्चा के प्रतिनिधियों की भागीदारी
इस बैठक में संयुक्त संघर्ष मोर्चा के सुरेश प्रसाद, राजीव मुखर्जी, विमल कुमार, अजीत मंडल (माले), गौतम प्रसाद (सीपीएम), परशुराम सिंह, अशोक महतो (झारखंड मुक्ति मोर्चा), मुनेश्वर यादव (राजद), पूरनेन्दु सिंह (कांग्रेस) सहित कई प्रतिनिधि उपस्थित रहे।
संयुक्त संघर्ष मोर्चा ने वार्ता के बाद कहा कि जब तक विस्थापन, पुनर्वास और आवंटन से जुड़ी समस्याओं का संतोषजनक समाधान नहीं निकलता, तब तक संघर्ष जारी रहेगा।