Sijua News: कनकनी कोलियरी में फिर बना गोफ, धधकती आग और गैस रिसाव से दहशत

कनकनी कोलियरी में फिर बना गोफ

कनकनी कोलियरी में फिर बना गोफ

Sijua News: Kanakani Colliery Land Subsidence: जोगता बस्ती में देर रात बना गड्ढा, बढ़ा खतरे का दायरा

Sijua News: धनबाद के सिजुआ क्षेत्र अंतर्गत कनकनी कोलियरी की जोगता 11 नंबर बस्ती एक बार फिर भारी संकट की चपेट में है। बुधवार की देर रात इलाके में दो स्थानों पर अचानक गोफ (भूमि धंसान) बन गए, जिससे क्षेत्र में आग और जहरीली गैस का रिसाव शुरू हो गया है। यह घटना Kanakani Colliery Land Subsidence की गंभीरता को एक बार फिर उजागर करती है, जिससे आसपास के लोग भय और असुरक्षा के माहौल में जीने को मजबूर हैं।

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आधी रात को गूंजा धमाका, सुबह दिखा खौफनाक मंजर

स्थानीय निवासी ब्रह्मदेव चौधरी ने बताया कि रात करीब दो बजे जोरदार आवाज हुई, जिससे लोग सहम गए और अपने घरों से बाहर निकलकर देखने लगे। लेकिन अंधेरे में कुछ भी नजर नहीं आया। सुबह जब लोग जागे तो देखा कि दो जगहों पर जमीन धंस चुकी है और एक जगह से आग निकल रही है। चौधरी का घर गोफ के ठीक बगल में है और परिवार की सुरक्षा को लेकर वे बेहद चिंतित हैं। उनकी पत्नी को फिलहाल बेटी के घर भेज दिया गया है।

घर के सामने बना गोफ, धुएं से घबराए लोग

स्थानीय महिला चिंता देवी ने बताया कि उनके घर के ठीक सामने गोफ बन गया है और लगातार धुआं निकल रहा है, जिससे उन्हें और परिवार को गहरी चिंता सता रही है। उन्होंने बताया कि कोलियरी प्रबंधन के लोग आते हैं, स्थिति को देखते हैं लेकिन राहत या पुनर्वास को लेकर कोई ठोस कदम नहीं उठाते।

पहले भी उजड़ चुका है इलाका, फिर भी नहीं कोई ठोस समाधान

धंसान वाले इन क्षेत्रों में पहले भी कई घर और मंदिर जमींदोज हो चुके हैं। प्रबंधन द्वारा इन इलाकों को “डेंजर ज़ोन” घोषित कर लोगों को हटने का नोटिस दिया गया है, लेकिन जमीनी स्तर पर पुनर्वास की प्रक्रिया बेहद धीमी है। दोनों गोफ जिन स्थानों पर बने हैं, वहां पूर्व में मिट्टी और ओबीआर से भराई की गई थी, लेकिन अब वहां फिर से आग और गैस का रिसाव शुरू हो गया है। आसपास की ज़मीन में लंबी दरारें भी साफ़ दिखाई दे रही हैं, जिससे खतरे का दायरा लगातार बढ़ रहा है।

हर पल मंडरा रहा जानमाल का खतरा

Kanakani Colliery Land Subsidence अब सिर्फ पर्यावरणीय संकट नहीं, बल्कि मानवीय त्रासदी बनती जा रही है। प्रबंधन की उदासीनता और पुनर्वास की धीमी प्रक्रिया स्थानीय लोगों को जान जोखिम में डालकर जीने को मजबूर कर रही है। यदि समय रहते ठोस कदम नहीं उठाए गए, तो यहां कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है।