Sindri News || श्री गुरु गोबिंद सिंह जी का 358वां प्रकाश पर्व: श्रद्धा और सेवा का मनाया गया दिव्य उत्सव

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गुरु गोबिंद सिंह जी के जीवन, शिक्षाओं और खालसा पंथ के आदर्शों को समर्पित श्रद्धामय आयोजन

Sindri News || श्री गुरु गोबिंद सिंह जी का जीवन बलिदान, मानवता की सेवा, और धर्म की रक्षा का आदर्श उदाहरण है। उन्होंने खालसा पंथ की स्थापना कर सिख धर्म में अनुशासन और साहस का अद्वितीय संदेश दिया। गुरु जी ने “सवा लाख से एक लड़ाऊं” का नारा देकर निर्भीकता और एकता का अद्वितीय आदर्श प्रस्तुत किया। उनकी शिक्षाएं हमें सत्य, धर्म और मानवता की सेवा का मार्ग दिखाती हैं।

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समारोह का सारांश:

12 जनवरी 2025 को श्री गुरु गोबिंद सिंह जी के 358वें प्रकाश पर्व को सिख संगत ने पूरी श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाया।

  • कार्यक्रम की शुरुआत: सुबह 7 बजे आसा दी वार के कीर्तन से हुई, जिससे संगत ने आत्मिक शांति प्राप्त की।
  • निशान साहिब दी सेवा: स० मनजीत सिंह उप्पल और उनके परिवार की ओर से 8 बजे आयोजित की गई, जो सिख धर्म में सेवा और निष्ठा का प्रतीक है।
  • विशेष कीर्तन दीवान: सुबह 11 बजे से दोपहर 1:30 बजे तक रागी जत्थों ने मधुर गुरबाणी प्रस्तुत की।
  • अरदास और लंगर: कीर्तन के बाद संगत ने अरदास की और गुरु का अटूट लंगर का आयोजन किया गया।

सेवा और भागीदारी: सामूहिक योगदान का प्रतीक

इस पवित्र आयोजन को सफल बनाने में समस्त सिख संगत का उल्लेखनीय योगदान रहा। सेवा भावना से ओत-प्रोत संगत ने कार्यक्रम को भव्य और अनुशासित बनाया। आयोजन में प्रमुख रूप से सेवा में भाग लेने वाले नाम थे: समृद्धि नागि, जगदेव सिंह, गुरचरण सिंह, मनजीत सिंह उप्पल, आत्मा सिंह, नरेंद्र सिंह, हरपाल सिंह, जगदीश्वर सिंह, हरेंद्र सिंह, प्रेम सिंह तगड़, लखजीत सिंह, मोहन सिंह, गुरचरण सिंह लाली, ओंकार सिंह, बलविंदर सिंह, इंद्रजीत सिंह, हरभजन कौर, जसपाल कौर, रूप कौर, और अन्य प्रमुख सदस्य।

सभी ने गुरु गोबिंद सिंह जी की शिक्षाओं का अनुसरण करते हुए समानता, सेवा, और भाईचारे के सिद्धांतों को जीवन में उतारने का संकल्प लिया।

प्रकाश पर्व का महत्व

श्री गुरु गोबिंद सिंह जी का प्रकाश पर्व न केवल एक धार्मिक उत्सव है, बल्कि यह सामुदायिक एकता, सेवा, और सत्य के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है। यह आयोजन हमें गुरु जी के बलिदान और शिक्षाओं को स्मरण करने और उन्हें अपने जीवन में अपनाने का अवसर प्रदान करता है।

निष्कर्ष: गुरु जी के आदर्शों को अपनाने का संकल्प

गुरु गोबिंद सिंह जी के 358वें प्रकाश पर्व ने संगत के बीच नई ऊर्जा और प्रेरणा का संचार किया। इस आयोजन ने सभी को गुरु जी के आदर्शों को आत्मसात करने और धर्म व मानवता की सेवा के लिए समर्पित रहने का संदेश दिया। सिख संगत ने इस आयोजन को एक दिव्य और प्रेरणादायक अनुभव के रूप में मनाया, जो आने वाले समय में जीवन में नई दिशा और आध्यात्मिक उन्नति का मार्ग प्रशस्त करेगा।

वाहेगुरु जी का खालसा, वाहेगुरु जी की फतेह!

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