Swami Vivekananda Special || स्वामी विवेकानंद जयंती: युवाओं के प्रेरणा स्रोत का उत्सव

Swami Vivekananda Special

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देशभर में बड़े उत्साह और सम्मान के साथ मनाई जाती है स्वामी विवेकानंद जयंती

Swami Vivekananda Special || 12 जनवरी को पूरे देश में स्वामी विवेकानंद जयंती बड़े उत्साह और सम्मान के साथ मनाई जाती है। यह दिन स्वामी विवेकानंद के अद्वितीय विचारों, शिक्षाओं और उनके योगदान को समर्पित है, जो न केवल भारत, बल्कि पूरे विश्व के लिए प्रेरणा स्रोत हैं।

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स्वामी विवेकानंद: एक परिचय

स्वामी विवेकानंद का जन्म 12 जनवरी 1863 को कोलकाता में हुआ था। उनका असली नाम नरेन्द्रनाथ दत्त था। उन्होंने अपनी विद्वता और आध्यात्मिकता से भारत को न केवल गौरवान्वित किया बल्कि दुनियाभर में भारतीय संस्कृति का प्रचार-प्रसार किया।
उन्होंने 1893 में शिकागो के विश्व धर्म महासभा में अपने ऐतिहासिक भाषण से भारतीय संस्कृति और धर्म की महानता को पूरे विश्व के सामने रखा।

राष्ट्रीय युवा दिवस: युवाओं के सम्मान में

भारत सरकार ने 1984 में स्वामी विवेकानंद की जयंती को राष्ट्रीय युवा दिवस के रूप में घोषित किया। यह दिन विशेष रूप से युवाओं को प्रेरित करने और उन्हें स्वामी विवेकानंद के आदर्शों से जोड़ने के लिए समर्पित है। स्वामी जी का मानना था कि युवाओं में देश को बदलने की शक्ति है।

उनके विचार जो आज भी प्रासंगिक हैं:

  • “उठो, जागो और तब तक नहीं रुको जब तक लक्ष्य प्राप्त न हो जाए।”
  • “आत्मविश्वास और कर्म ही सफलता की कुंजी हैं।”
  • “अगर आप खुद पर विश्वास रखते हैं, तो दुनिया की कोई ताकत आपको रोक नहीं सकती।”

स्वामी विवेकानंद के योगदान

स्वामी विवेकानंद ने समाज और राष्ट्र के लिए कई अमूल्य योगदान दिए:

  1. रामकृष्ण मिशन की स्थापना: उन्होंने गुरु रामकृष्ण परमहंस के आदर्शों को आगे बढ़ाने के लिए इस मिशन की स्थापना की।
  2. वैश्विक मंच पर भारत का परिचय: शिकागो में उनके भाषण ने भारतीय संस्कृति और धर्म की गरिमा को विश्व स्तर पर स्थापित किया।
  3. युवाओं को जागरूक करना: उनके विचार आज भी युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं।

आज के युवाओं के लिए स्वामी विवेकानंद का संदेश

स्वामी विवेकानंद का मानना था कि अगर युवा अपनी ऊर्जा और शक्ति को सही दिशा में लगाएंगे, तो देश का भविष्य उज्ज्वल होगा।

उनके विचारों को अपनाने के लिए हमें चाहिए:

  • आत्मनिर्भरता का विकास: अपने दम पर आगे बढ़ने की कोशिश करें।
  • शारीरिक और मानसिक मजबूती: स्वस्थ शरीर और मन ही सफलता की नींव हैं।
  • संस्कार और ज्ञान का समन्वय: आधुनिक ज्ञान के साथ संस्कारों को बनाए रखें।

निष्कर्ष

स्वामी विवेकानंद जयंती केवल एक दिन नहीं है, बल्कि उनके विचारों और आदर्शों को आत्मसात करने का अवसर है। उनके द्वारा दिखाए गए मार्ग पर चलकर ही हम एक सशक्त, आत्मनिर्भर और गौरवशाली भारत का निर्माण कर सकते हैं।
आज, उनके जन्मदिन पर, हम सभी को यह संकल्प लेना चाहिए कि उनके विचारों को अपने जीवन में लागू करेंगे और देश के विकास में अपना योगदान देंगे।

 

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